-वर्ष 15 से 24 तक चार बार एसओपी में किया गया संशोधन मुजफ्फरपुर. एइएस से बचाव के लिए मुख्यालय का नया एसओपी जिलाें के बच्चों के फायदेमंद साबित हुआ. एसओपी के अनुसार इलाज करने वाले जिलों में एक भी बच्चे की मौत इस साल बीमारी से नहीं हुई है. 2014 में बड़ी संख्या में एइएस से बच्चाें की माैत के बाद दिल्ली तक हडकंप मच गया था. तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्द्धन मुजफ्फरपुर आए थे. उन्हाेंने बीमार बच्चाें के इलाज के लिए काेई एसओपी नहीं हाेने पर नए सिरे से विशेषज्ञ चिकित्सकाें काे इसे बनाने के निर्देश दिये थे. उसके बाद वर्ष 2015 में पहली बार इलाज का एसओपी बनाया गया था. इसके बाद 2018 में इसमें कुछ संशाेधन किया गया. फिर 2023 में भी संशाेधन हुआ और बच्चों का इलाज किया गया. अब 2024 में फिर से इलाज के लिए नया एसओपी बना उसे भेजा गया. इसे एइएस प्रभावित मुजफ्फरपुर समेत 12 जिलाें काे भेजा गया है. इधर, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा क्षेत्र के बीमार बच्चों के बीमार हाेने पर इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचने से भी बच्चों की जान बची है. मुख्यालय के सूत्राें के मुताबिक, इस वर्ष राज्य स्वास्थ्य समिति ने एइएस से बचाव के लिए नया एसओपी बनाया है. बताया जाता है कि इसी एसओपी के अनुसार सभी अस्पतालाें में पीड़ित बच्चाें का इलाज कर रहे हैं. वहीं यदि काेई बच्चा बीमार हाेता है ताे उसे रेफर की स्थिति में एंबुलेंस में कैसे ले जाना है, इसके भी तरीके नये एसओपी में बताये गये हैं.
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