Muzaffarpur News: मीनापुर के रामपुरहरि थाना क्षेत्र के मुकसुदपुर में वन विभाग की टीम ने पाम सिवेट नामक जानवर को पकड़ा. स्थानीय लोगों द्वारा इस अनोखे जानवर की सूचना वन विभाग को दी गयी. इसके बाद वन विभाग की टीम ने दो दिनों तक लगातार क्षेत्र में जाल बिछाकर इस जानवर को सुरक्षित पकड़ लिया. विभाग की टीम द्वारा बताया गया कि यह जानवर बिल्ली प्रजाति है. ये जंगली इलाके में रहते है पहले भी इसे यहां देखा जा चुका है. एशियाई पाम सिवेट को कस्तुरी बिलाव, कॉमन पाम सिवेट , टोडी कैट और मुसांग भी कहा जाता है. मास्क्ड पाम सिवेट, जिसे हिमालयन पाम सिवेट के नाम से भी जाना जाता है, हिमालय की तलहटी में पाया जाने वाला एक छोटा स्तनपायी जानवर है, जिसमें नेपाल, भूटान, भारत और चीन शामिल है. यह विवर्रिडे परिवार का सदस्य है और अन्य सिवेट और नेवले प्रजातियों से निकटता से संबंधित है.
कस्तूरी का होता है उत्पादन
यह जानवर सिवेट कस्तूरी का उत्पादन करता है जिसे सुगंध और इत्र के लिए स्थिर करने के रूप में अत्यधिक महत्व दिया जाता है. इसमें नर और मादा दोनों सिवेट मजबूत गंध वाला स्राव उत्पन्न करते है, जो सिवेट की पेरिनेल ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है. इसे या तो जानवर को मारकर और ग्रंथियों को हटाकर, या जीवित जानवर की ग्रंथियों से स्राव को खुरच कर प्राप्त किया जाता है। बाद वाला तरीका आज सबसे पसंदीदा तरीका है.
सिवेट की लंबाई 45 से 60 सेमी तक
इसका साधारण नाम मास्क पाम सिवेट व वैज्ञानिक नाम पगुमा लार्वाटा है. एक छोटा मांसाहारी स्तनपायी है जो विवर्रिडे परिवार से संबंधित है. इसे हिमालयन पाम सिवेट या जेम-फेस्ड सिवेट के नाम से भी जाना जाता है. उनका शरीर लंबा, पतला, पैर छोटे और पूंछ लंबी, झाड़ीदार होती है. लंबाई 45 से 60 सेंटीमीटर (पूंछ सहित), ऊंचाई 25 सेमी, पूंछ की लंबाई 35 से 45 सेमी. यह सर्वहारी है, फल, कीड़े, छोटे जानवर, सड़ा हुआ मांस खाता है.
मास्क पाम सिवेट्स रात्रिचर होते है और अपनी विशिष्ट कस्तूरी जैसी गंध के लिए जाने जाते है. वे पेड़ों पर चढ़ने में भी सक्षम है और उनके पंजे आंशिक रूप से वापस खींचे जा सकने वाले होते है. वयस्क मास्क्ड पाम सिवेट का वजन आम तौर पर 5 किलोग्राम तक रहता है. जिसमें नर मादा से थोड़े बड़े होते है, यह निशाचर जानवर है और मुख्य रूप से वृक्षवासी है, जो अपना अधिकांश समय पेड़ों पर बिताते है.
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यह एक संरक्षित जीव है
भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों में मास्क्ड पाम सिवेट की स्थानीय आबादी निवास स्थान के नुकसान और शिकार के कारण खतरे में पड़ सकती है. भारत में, मास्क्ड पाम सिवेट को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित किया गया है, जो इस प्रजाति के शिकार, जाल या हत्या पर प्रतिबंध लगाता है. इस कानूनी संरक्षण के बावजूद, वनों की कटाई और मानव अतिक्रमण के कारण आवास का नुकसान भारत में इस प्रजाति के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है.
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