दर्द आंसू या घुटन जो भी रहे, बन नदी बहती रही हैं बेटियां

दर्द आंसू या घुटन जो भी रहे, बन नदी बहती रही हैं बेटियां

By Prabhat Khabar Print | July 1, 2024 1:03 AM

-नटवर साहित्य परिषद् ने किया कवि-गोष्ठी का आयोजन मुजफ्फरपुर. नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद् ने कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया. अध्यक्षता नरेंद्र मिश्र व संचालन सुमन मिश्र ने किया. कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री की गीत से किया गया. सत्येंद्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी ”””””””””””””””” टिकुलिया तरके बिंदिया चमकेला बरिजोर, गोरी अंचरवा तर मुखरा छुपाई चल सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी. ओम प्रकाश गुप्ता ने, होती है कीमत लफ्जों की, बातें ज्यादा मत करना सुनाकर सराहना ली. सुमन मिश्र ने बरसो मेरे गांव में जलधर अमन चैन का बादल बनकर सुना कर भरपूर दाद बटोरा. डाॅ. नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी की गजल नजारों से आगे नजर और भी है, अभी इश्क का कुछ असर और भी है, सराही गयी. उषा किरण श्रीवास्तव ने हाथ रंगल मेहंदी के रंग में, उबटन सरसों मेथी के और डाॅ जगदीश शर्मा ने अजब-गजब के परिधान बने निराले हैं,सुनाकर तालियां लीं. सविता राज ने दर्द आंसू या घुटन जो भी रहे, बन नदी बहती रही हैं बेटियां सुनाकर भरपूर दाद बटोरी. इनके अलावा नरेन्द्र मिश्र, अंजनी पाठक, रामबृक्ष राम चकपुरी, आशा, मुन्नी चौधरी व मुस्कान केशरी की कविता भी सराही गयी.

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