वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरठंड बढ़ने के साथ महिलाएं डिप्रेशन का शिकार होने लगी है. इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा महिलाएं आ रही है. सदर अस्पताल के मानिसक रोग विभाग की ओपीडी में अवसाद के मरीज बढ़ रहे हैं. इसमें डिप्रेशन की सर्वाधिक मरीज में महिलाएं सबसे अधिक हैं. प्रतिदिन दस से बारह महिलाएं ओपीडी में इलाज कराने पहुंच रही है जबकि सामान्य दिनों में इसकी संख्या दो से पांच होती है. मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की मानें तो लुढ़कते पारे से न्यूरोट्रांसमीटर की सक्रियता कम हो जा रही है. जिससे सर्दी के मौसम में तेजी से गिर रहा पारा महिलाओं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं तेजी से अवसाद (डिप्रेशन) के शिकार हो रही हैं. डॉ बताते हैं कि जाड़े के मौसम में सूर्य की रोशनी कम मिलती है. ऐसे में मस्तिष्क के अंदर न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन कम होने लगता है.
इसके लक्षण
-इस बीमारी के शिकार व्यक्ति के जेहन में हीन भावना आती है.-मन में खुदकुशी करने की भाव आती है.
-मन उदास रहता है.-उसका मन किसी कार्य में नहीं लगता है.
-भूख कम लगती है और एकाग्रता खत्म हो जाती है.कैसे करें बचाव
– इसके मरीज रोजाना धूप में एक से दो घंटे जरूर बैठना चाहिए. – इसके अलावा कृत्रिम सूर्य की रोशनी के लिए कुछ यंत्र भी है- ऐसे मरीजों को डॉक्टर की सलाह से अवसाद की दवाएं जरूर दिलानी चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है