शहर में रोज हो रहा एक करोड़ के लकड़ी का कारोबार

Wood business worth Rs 1 crore

By Prabhat Khabar News Desk | January 20, 2025 7:43 PM

उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर भवन निर्माण हो या लग्न का समय, लकड़ी की मांग हमेशा से रही है. शहर में लकड़ी का कारोबार काफी अच्छा रहा है. शहर से सटे करीब 40 आरा मशीनें हैं, इसके अलावा करीब 170 फर्नीचर की दुकानें हैं. लकड़ी की खरीद से लेकर फर्नीचर सेट का यहां से रोज करीब एक करोड़ का कारोबार होता है. शहर में नयी दुकान के डेकोरेशन में भी काफी संख्या में लकड़ियों की खपत होती है. इसके अलावा शिक्षण संस्थाओं के लिए भी बेंच, कुर्सी और टेबुल की अच्छी सेल होती है. फर्नीचर विक्रेताओं का कहना है कि विभिन्न कंपनियों के फर्नीचर की बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन शहर में बने फर्नीचर की भी डिमांड है. कई लोग मजबूती के ख्याल से घरों की खिड़कियां और दरवाजे लोकल कारीगर से बनवाते हैं. इससे लकड़ी का कारोबार अच्छा है. शहर में करीब 300 कारीगर कर रहे काम शहर में करीब 200 कारीगर विभिन्न फर्नीचर की दुकानों में काम कर रहे हैं. इसके अलावा एक सौ कारीगर ऐसे भी हैं, जो कार्यस्थल पर जाकर फर्नीचर तैयार करते हैं. अल्युमीनियम और स्टील के दरवाजे और खिड़़कियां बनने के बाद भी लकड़ी के कारोबार में कमी नहीं है. लग्न के समय रेडिमेड फर्नीचर के अलावा कारीगरों से बेड और ड्रेसिंग टेबुल बनवाया जाता है. लकड़ी से बनी वस्तुओं के बढ़ते कारोबार के कारण शहर में छोटे-बड़े फर्नीचर दुकानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों की स्थिति अच्छी नहीं शहर में करीब 300 और जिले में तीन हजार से अधिक कारपेंटर हैं. शहरी क्षेत्रों के कारपेंटर को तो काम मिल जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के कारपेंटर दूसरी जगह काम करने पर मजबूर हैं. वे अपना काम शुरू नहीं कर पाते हैं. रेडिमेड फर्नीचर के कारण लकड़ी के कारोबार पर असर नहीं पड़ा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों की स्थिति नहीं सुधर पायी – संजीत शर्मा, कारपेंटर बढ़ई समाज की स्थिति सुधारने के लिए हो प्रयास सरकार बढ़ई समाज पर ध्यान नहीं दे रही है. विश्वकर्मा योजना से जितनी राशि मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रहा है. इस कारण कारीगर अपना काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं. कारपेंटर के काम को कला का दर्जा देते हुए सरकार को इसके लिए योजनाएं लानी चाहिए़. जिससे बढ़ई समाज की स्थिति सुधर सके. हमलोग इसकी मांग बहुत पहले से कर रहे हैं. – प्रभाकर शर्मा, ट्रस्टी, बढ़ई विश्वकर्मा संघ कारपेंटर की मांगें – दो फुट के आरा मशीन को लाहसेंस से मुक्त करे़ – कारपेंटर के हित के लिए विश्वकर्मा कला बोर्ड का गठन हो़ – कारपेंटरों को कारखाना खोलने के लिए सरकार अनुदान दे़ – कारीगरों का सरकार कार्ड बनवाएं और सरकारी योजना में लाभ दे़

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