क्रिकेट की दिलचस्प दुनिया की सैर कराती हैं मुजफ्फरपुर के यशस्वी की किताबें
यशस्वी का कहना है कि उनकी किताब 36 एंड गाबा उनकी दूसरी प्रकाशित पुस्तक है, जो 2024 में पब्लिश हुई. यह पाठकों को 2020-21 में भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया के रोलरकोस्टर दौरे के माध्यम से एक दिलचस्प यात्रा पर ले जाती है.
मुजफ्फरपुर. इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई करके शहर के यशस्वी रमन ने साहित्य के क्षेत्र में जगह बनानी शुरू कर दी है. क्रिकेट के दिलचस्प दुनिया का सैर यशस्वी की किताबें करा रही हैं. भारत के 2021-22 के आस्ट्रेलिया दौरे पर लिखी किताब 36 और गब्बा इसी साल प्रकाशित हुई है. इससे पहले टेस्ट ऑफ टाइम्स के जरिये यशस्वी ने खेल साहित्य के क्षेत्र में दस्तक दी. छोटी उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था और अब तक कई ब्लॉग, कमेंट्री के साथ दो किताबें प्रकाशित कर चुके हैं.
यशस्वी रमन खेल साहित्य की दुनिया में एक अनूठा दृष्टिकोण लाते हैं. उनकी पहली पुस्तक ”टेस्ट ऑफ टाइम्स” ने क्रिकेट साहित्यिक यात्रा की शुरुआत को चिह्नित किया. फरवरी 2022 में नॉर्टन प्रेस चेन्नई द्वारा प्रकाशित टेस्ट ऑफ टाइम्स भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए एक टाइम मशीन है. इसमें बताया गया है कि देश में क्रिकेट की शुरुआत के बाद से भारतीय क्रिकेट कैसे विकसित हुआ. यशस्वी का क्रिकेट की अनकही कहानियों और समृद्ध इतिहास के साथ भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के प्रति आकर्षण, उनके काम में स्पष्ट दिखता है. यशस्वी का कहना है कि क्रिकेट के मनमोहक युग की मनोरम कहानियों को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता है.
क्रिकेट गाथा के साथ टीम भावना और लचीलेपन की कहानी
यशस्वी का कहना है कि उनकी किताब 36 एंड गाबा उनकी दूसरी प्रकाशित पुस्तक है, जो 2024 में पब्लिश हुई. यह पाठकों को 2020-21 में भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया के रोलरकोस्टर दौरे के माध्यम से एक दिलचस्प यात्रा पर ले जाती है. 36 एंड गाबा सिर्फ एक क्रिकेट गाथा नहीं है, यह एक टीम के लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और अदम्य भावना की कहानी है.
स्कूली शिक्षा विदेश में, भारत में इंजीनियरिंग-मैनेजमेंट की पढ़ाई
शहर के रामबाग के रहने वाले यशस्वी रमण की उम्र 25 वर्ष है. उन्होंने बीआइटी-मेसरा से बीटेक और मैंगलोर से मार्केटिंग प्रबंधन में स्नातकोत्तर किया है. स्कूली शिक्षा विदेश से करने वाले यशस्वी वर्तमान में एक प्रतिष्ठित वित्तीय क्षेत्र में प्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं. वह अपने सभी प्रकाशनों का श्रेय अपनी प्रेरक मार्गदर्शक मां को देते हैं. पिता डॉ संजीव कुमार टर्बो मशीनरी एक्सपर्ट है.