मुजफ्फरपुर में नगर निगम चुनाव का समय ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है, शहर की राजनीतिक आबोहवा व माहौल भी उतनी ही तेजी से बदल रहा है. चुनावी मैदान में उतरे पार्षद जहां अपनी जीत के लिए जोर-आजमाइश लगा रहे हैं. वहीं, वोटर चुनावी मिजाज को भांपते हुए मजबूत कैंडिडेट की तलाश में जुटे हैं. हालांकि, पार्षद से लेकर मेयर-उप मेयर कैंडिडेट को सिंबल का इंतजार है. वे लोग सिंबल (चुनाव चिह्न) के हिसाब से अपने प्रचार-प्रसार अभियान को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं. इस बार मुकाबला काफी रोचक होने वाला है. इसकी वजह है कि मेयर-उप मेयर का चुनाव आम जनता के हाथों में है.
पिछले चुनाव में मात खाये पार्षद उम्मीदवार भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. ऐसे उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी को पटकनी देने के लिए उनकी कमियां ढूढ़ने से लेकर अपनी ब्रांडिंग में जुटे हैं. वैसे अब तक का चुनावी की जो तस्वीर सामने आयी है, इसमें मेयर-उप मेयर चुनाव को लेकर लोगों की उत्सुकता काफी अधिक है. राजनीतिक जानकार इस चुनाव को कई तरह से जोड़ कर देख रहे हैं. बताया जाता है कि मेयर व उप मेयर चुनाव का असर आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. दरअसल, मेयर पद के लिए जो उम्मीदवार सामने आये हैं, उनका वास्ता कई बड़े राजनीतिक पार्टी व उनके नेताओं से हैं. इसका लाभ उठाने में वे पीछे नहीं रहेंगे.
शहर के अधिकतर वार्डों के लोग मेयर-उप मेयर के कैंडिडेट से अपरिचित हैं. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर अधिकतर लोग मेयर-उप मेयर कैंडिडेट की जानकारी मांग रहे हैं. किस प्रत्याशी को लेकर माहौल है, यह बहुत सारे लोग सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी हासिल करने की कोशिश में हैं. इधर, मैदान में मेयर, उप मेयर के उतरे उम्मीदवार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं. लेकिन, जिस तरीके का माहौल बनना चाहिए, वह नहीं बन पा रहा है. बताया जाता है कि प्रत्याशी अभी सिंबल का इंतजार कर रहे हैं. सिंबल मिलने के बाद प्रचार वाहन अपने-अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनायेंगे.
Also Read: बिहार के 22 फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई का निर्देश, फर्जी सर्टिफिकेट पर बने थे टीचर, जानें पूरा मामला
शहर के वार्ड नंबर 26 से एक ऐसे उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं, जिनके चार बच्चे हैं. सभी बच्चों का जन्म 2008 के बाद हुआ है. ऐसे में इनके नामांकन पत्र को रद्द करने की मांग उठने लगी है. सोमवार को इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से की गयी है. इसके अलावा जिलाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी आदि से भी शिकायत की गयी है. शिकायतकर्ता ने इसकी गहराई से जांच-पड़ताल करते हुए आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है. 2008 के बाद दो से अधिक बच्चे वालों के चुनाव लड़ने पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है.