तालाब से मिली सूर्य भगवान की मूर्ति

बिहारशरीफ : नूरसराय प्रखंड के बालचंद बिगहार में पोखर से सूर्य भगवान की एक प्राचीन मूर्ति खुदाई के दौरान मिली है. पोखर में मूर्ति मिलने के बाद ग्रामीण मूर्ति की पूजा अर्चना में जुट गये हैं. इसकी जानकारी मिलने पर बिहारशरीफ के अनुमंडल पदाधिकारी सुधीर कुमार ने नूरसराय के थानाध्यक्ष, बीडीओ एवं सीओ को बालचंद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2017 3:31 AM

बिहारशरीफ : नूरसराय प्रखंड के बालचंद बिगहार में पोखर से सूर्य भगवान की एक प्राचीन मूर्ति खुदाई के दौरान मिली है. पोखर में मूर्ति मिलने के बाद ग्रामीण मूर्ति की पूजा अर्चना में जुट गये हैं. इसकी जानकारी मिलने पर बिहारशरीफ के अनुमंडल पदाधिकारी सुधीर कुमार ने नूरसराय के थानाध्यक्ष, बीडीओ एवं सीओ को बालचंद बिगहा गांव भेज कर पोखर से मिली मूर्ति को बरामद करने का निर्देश दिया. इस आदेश के बाद नूरसराय के थानाध्यक्ष, बीडीओ व सीओ बालचंद बिगहा गांव पहुंचे.

ग्रामीण प्रशासन को मूर्ति सुपुर्द करने को तैयार नहीं थे. पूजा पाठ करने में जुटे ग्रामीण जिस स्थान से मूर्ति निकली है, उसी स्थान पर मंदिर बनाने की जिद पर अड़े थे. प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा ग्रामीणों को काफी समझाया गया, पर ग्रामीण अपनी जिद पर अड़े रहे. आखिरकार अधिकारियों ने कड़ाई बरतते हुए मूर्ति को अपने कब्जे में लेकर उसे नूरसराय थाने में ले लाई है. करीब ढाई फुट ऊंची व दो फुट चौड़ी काले पत्थर की यह प्राचीन मूर्ति सूर्य भगवान की बतायी जा रही है.

मूर्ति को स्टेट म्यूजियम में रखी जायेगी:-
बिहारशरीफ के एसडीओ सुधीर कुमार ने बताया कि बालचंद बिगहा से बरामद मूर्ति को फिलहाल नूरसराय थाने में रखा गया है. उसे लाकर बिहारशरीफ स्थित स्टेट म्यूजियम में रखा जायेगा. जिससे यहां आने वाले लोग मूर्ति को देख सकें. एसडीओ ने बताया कि मूर्ति की जांच के लिए पटना से एक्सपर्ट को बुलाया गया है, जो मूर्ति की प्राचीनता, उसकी कीमत और कौन से भगवान की यह मूर्ति है की जानकारी देंगे
जमीन कब्जाने के लिए मूर्ति का प्रयोग
ग्रामीणों व अधिकारियों की मानें तो जमीन कब्जाने के लिए मूर्ति का प्रयोग किया जा रहा था. अधिकारियों ने पोखर की खुदाई होने की बात से भी इनकार किया है. उनका कहना है कि बालचंद बिगहा के कुछ ग्रामीणों से जो जानकारी मिली है. उसके अनुसार मूर्ति को वहां लाकर रखा गया था. पोखर की जमीन पर कुछ लोग मंदिर बनाने की फिराक में थे. इसी उद्देश्य से वहां यह मूर्ति रखी गयी थी.

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