नदिऔना गांव जाने का रास्ता जर्जर

पेयजल के लिए महज दो चापाकल ही दुरूस्त बिहारशरीफ : मुख्यालय से पांच से छह किलोमीटर की दूरी पर नदिऔना गांव है. यह वही गांव है जिसे तीन साल पहले जिला प्रशासन ने गोद लेकर आदर्श गांव का दर्जा दिया था. विकास गाथा को जानने के लिये जब गांव पहुंचे बेहद हैरानी हुई. जिला प्रशासन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2017 8:11 AM
पेयजल के लिए महज दो चापाकल ही दुरूस्त
बिहारशरीफ : मुख्यालय से पांच से छह किलोमीटर की दूरी पर नदिऔना गांव है. यह वही गांव है जिसे तीन साल पहले जिला प्रशासन ने गोद लेकर आदर्श गांव का दर्जा दिया था. विकास गाथा को जानने के लिये जब गांव पहुंचे बेहद हैरानी हुई. जिला प्रशासन द्वारा गोद लेकर बनाया गया आदर्श गांव जाने का रास्ता बेहद जर्जर है.
वहां पहुंचकर जब ग्रामीणों से मुलाकात हुई और आदर्श गांव को देखने से यही लगा कि महज खानापूर्ति है. कागज पर तो आदर्श बना दिय, इसके बाद किसी ने आगे की पड़ताल नहीं ली. आज भी गांव के लोग जब बीमार होते है तो खाट पर लादकर ही ग्रामीण अस्पताल पहुंचाते है. जर्जर सडक के कारण वाहन वाले भी इस गांव जाने से कतराज करते है. सड़क कहे या चौड़ी पगडंडी जिस पर कहीं-कहीं ईट सोलिंग नजर आता है.
गांव में बुनियादी सुविधाओं के की गयी प्रयास में बिजली आपूर्ति हो रही है. शेष पानी,सबके के घरों में शौचालय , प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं दिये जाने की बात ग्रामीणों ने बताया. हर घर पानी की सप्लाइ के लिये बोरिंग कराया गया है. पानी की टंकी भी बना है कई स्थानों पर चापाकल भी है. लेकिन पेयजल के लिए महज दो चापाकल ही दुरूस्त है. शेष खराब है. 175 घरों की इस गांव में सभी महादलित परिवार के लोग रहते है. गांव के अधिकतर लोग रोजी-रोजगार के लिये ईट भठे पर काम करते है. यहां तक कि रोजगार की तलाश में लोगों को बाहर जाने की भी विवशता है. खुले में शौच मुक्त के लिये हर घर शौचालय बनाये जाने के लिये किया जा रहा प्रयास भी कम ही दिखायी दे रहा है.
शिक्षा के लिये पांचवी तक की सरकारी स्कूल : इस गांव में शिक्षण के लिये एक सरकारी स्कूल है. इसमें पांचवी तक की ही पढाई होती है.
आगे की पढाई के लिये एक किलोमीटर दूर स्कूल है. ग्रामीण कुनकुन मांझ का कहना है कि आगे की पढाई के लिये गांव में कोई स्कूल नहीं है .कंचनपुर गांव में स्कूल है वहां जाने के लिये एनएच क्रांस करना पडता है. इसके कारण बच्चों को नहीं भेजते हैं. गांव में एक आंगनबाडी केंद्र है उसकी सेविका ने बताया कि दो माह से पोषाहार की राशि नहीं आने के कारण केंद्र पर पोषाहार भी बन रहा हैं.
क्या कहते है ग्रामीण
काम करने के लिए हमेशा बाहर जाना पडता है. साल में आठ माह तक बाहर रहकर ईट भठे पर काम करते हैं. सरकार के तरफ से सरकारी आवास नहीं मिला है. बोरिंग से पानी भी नहीं मिलता है. सडक जर्जर है. रोगी को खाट पर लादकर अस्पताल ले जाते है.
अशोक मांझी
कुछ साल पहले साहेब यहां आकर काम कराये थे. शौचालय निर्माण शुरू किया गया लेकिन पूरा नहीं किया गया. गांव से मुख्य सड़क खराब होने के कारण बरसात में काफी परेशानी होती है.
कुरकुमर मांझी
चापाकल खराब है. सरकारी कॉलोनी में नहीं मिला है. महादलित का गांव होने के कारण ध्यान नहीं दिया जाता है. साहेब लोग बोलते थे कि गांव शहर जैसा हो जायेगा.
विकु मांझी
गांव आने वाला रास्ता खराब है. सरकारी कॉलोनी तक नहीं मिला है.शौचालय भी बनाया गया है. चापाकल भी खराब है.
सुनकी देवी
क्या कहते है अधिकारी
कुछ साल पहले गोद लेकर नदिऔना को आदर्श गांव बनाया गया था. उस समय विकास के काफी कार्य कराये गये थे.
अंजना दत्ता, बीडीओ सदर बीडीओ

Next Article

Exit mobile version