बिहारशरीफ : टीबी से निजात दिलाने की दिशा में ठोस नीति सरकार ने अपनायी है. पीड़ित लोगों की पहचान अब घर-घर जाकर की जायेगी. इस कार्य को मूर्तरूप देने के लिए होम सर्च अभियान की शुरूआत होगी. इस दौरान चिह्नित यक्ष्मा के संदिग्ध रोगियों को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान की जायेगी. यह विशेष कंपेन जिले के स्लम एरिया, दलित व महादलित समेत अन्य जगहों पर चलेगा.सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 17 जुलाई से हाउस टू हाउस सर्च अभियान चलेगा.
यह विशेष टीबी रोगी के खोज कार्यक्रम में 31 जुलाई तक चलेगा. इस दौरान जिले के वैसे क्षेत्रों में अभियान चलेगा जहां पूर्व से टीबी के मरीज हैं. जिनका अभी इलाज चल रहा है. साथ ही स्लम एरिया,दलित, महादलित टोलों में यक्ष्मा विभाग के कर्मी घरों में दस्तक देने का काम शुरू करेंगे. इस दौरान कर्मी संबंधित घरों के सदस्यों से जानकारी प्राप्त करेंगे कि दो सप्ताह या अधिक समय से किसी सदस्य को खांसी तो नहीं हो रही है. एेसे लोगों को टीबी के संदिग्ध मरीजों की श्रेणी में रखी जायेगी. एेसे लोगों की सूची बनायी जायेगी. चिह्नित संदिग्ध रोगियों को निकट के अस्पताल में भेजने का काम संबंधित कर्मी करेंगे.
अस्पताल में संचालित डीएमसी में संदिग्ध मरीजों के बलगम की जांच की जायेगी. जांच रिपोर्ट में यदि टीबी के जीवाणु पाये जाते हैं तो संबंधित व्यक्ति का इलाज शुरू किया जायेगा.
टीमों का होगा गठन
इस कार्यक्रम को सफलीभूत बनाने के लिए जिला यक्ष्मा विभाग की ओर से टीमों का गठन किया जायेगा. हरेक टीम में चार स्वास्थ्य कर्मी शामिल किये जायेंगे. टीम में जिला यक्ष्मा विभाग की ओर से संचालित जिले के विभिन्न पीएचसी में डीएमसी के एसटीएस, एसटीएलएस, एएनएम, आशा कार्यकर्ता व पुरुष कर्मी शामिल होंगे. टीम गठन करने की प्रक्रिया विभागीय तौर पर शुरू कर दी गयी है. उक्त कर्मी उक्त तिथि से उक्त संबंधित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घरों में जायेंगे. साथ ही, कर्मी बीड़ी वर्करों के घरों में भी जायेंगे और टीबी के संदिग्ध रोगियों की पहचान करने का काम करेंगे. हरेक टीम एक दिन में कम से कम दो संदिग्ध मरीजों के बलगम के सैंपल जांच के लिए संग्रह करेंगे. संग्रहित सैंपलों की जांच डीएमसी में की जायेगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सीय सेवा शुरू की जायेगी. इतना ही नहीं हरेक टीम एक दिन में कम से कम 50 घरों में दस्तक देने का काम करेंगे.
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सीखेंगे गुर
इस कार्यक्रम को शत प्रतिशत सफल बनाने के लिए जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,रेफरल व अनुमंडलीय अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व उपाधीक्षकों को इस बारे में गुर सिखाये जायेंगे. जिला यक्ष्मा विभाग की ओर से डीटीओ प्रभारियों व उपाधीक्षकों को टिप्स बतायेंगे. ताकि उक्त प्रभारी लोग अपने स्तर से अपने स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत कर्मियों को ट्रेंड करने का काम करेंगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस कार्य को सफल बनाने के लिए टीमों का गठन किया जायेगा. हरेक टीम में चार कर्मी शामिल किये जायेंगे. हरेक टीम हर दिन टीबी के संदिग्ध दो मरीजों के बलगम जांच के लिए सैंपल लेंगे. संग्रहित सैंपलों की डीएमसी में जांच की जायेगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान की जायेगी.
डॉ रविंद्र कुमार,जिला यक्ष्मा पदाधिकारी,नालंदा