गुरु पूर्णिमा को ले लोगों ने किया गंगा स्नान

मंदिरों में पूजा-अर्चना कर गुरु को किया नमन बिहारशरीफ : गुरु पूर्णिमा को लेकर रविवार को लोगों ने स्नान ध्यान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना की और अपने अपने गुरु को नमन किया. बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करने के लिए बख्तियारपुर,बाढ़ व फतुहा गये. गंगा स्नान करने को लेकर वाहनों व ट्रेनों पर अच्छी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2017 6:25 AM

मंदिरों में पूजा-अर्चना कर गुरु को किया नमन

बिहारशरीफ : गुरु पूर्णिमा को लेकर रविवार को लोगों ने स्नान ध्यान कर मंदिरों में पूजा-अर्चना की और अपने अपने गुरु को नमन किया. बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करने के लिए बख्तियारपुर,बाढ़ व फतुहा गये. गंगा स्नान करने को लेकर वाहनों व ट्रेनों पर अच्छी खासी भीड़ देखी गयी. गंगा स्नान करने जाने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा दिखी. गुरु पूर्णिमा और सोमवार से शुरू हो रहे सावन को देखते हुए रविवार की सुबह से ही महिलाएं घरों की सफाई में जुटी थी.
बहुत से घरों में पूरे सावन में बाबा भोले की पूजा-अर्चना की जाती और उनपर बेलपत्र चढ़ाया जाता है. ऐसे घरों में पूरे सावन मास के दौरान सात्विक भोजन किया जाता है. प्याज, लहसुन का उपयोग खाने में नहीं होता है.
पुराने बर्तनों को अच्छी तरह साफ सुथरा कर लिया जाता है. बिछावन व कपड़ों की भी सफाई की जाती है. गंगा स्नान के लिए नहीं जाने वाले राजगीर कुंड में व जिले के नदियों में स्नान किया.आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरू पूजा का विधान है. गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है. इस दिन से चार माह तक साधु संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं.
ये चार महीने मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ होते हैं. न अधिक गरमी और न अधिक सर्दी. इसलिए ये महीने अध्ययन के लिए भी उपयुक्त माने जाते हैं. गुरू चरणों में साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति पर करने की शक्ति मिलती है.
गुरु पूर्णिमा का महत्व:
भारत में गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया जाता है. प्राचीन समय में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में रहकर नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करता था, तो गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देता था. आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है. पारंपरिक रूप से शिक्षा देने वाले विद्यालयों में संगीत, कला के विद्यार्थियों में आज भी यह दिन गुरु को सम्मानित करने का दिन होता है.

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