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एक ही कमरे में चल रहे पुस्तकालय व प्रयोगशाला

अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफल हो रहा जिला स्कूल, स्कूल में विषयवार शिक्षक नहीं, भवन के बावजूद हो रही कमरों की कमी बिहारशरीफ : राजकीय उच्च विद्यालय राणा बिगहा,जिला स्कूल के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 1988 में की गयी थी. शुक्रवार को विद्यालय में काफी चहल […]

अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफल हो रहा जिला स्कूल, स्कूल में विषयवार शिक्षक नहीं, भवन के बावजूद हो रही कमरों की कमी
बिहारशरीफ : राजकीय उच्च विद्यालय राणा बिगहा,जिला स्कूल के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 1988 में की गयी थी. शुक्रवार को विद्यालय में काफी चहल पहल दिखायी दे रहा था. दरअसल विद्यालय में 9 वीं व 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों की फर्स्ट टर्मिनल की परीक्षा चल रही है. कुछ ही देर में छात्र-छात्राएं अलग-अलग कमरों में परीक्षा देने के लिए बैठ गये. विद्यालय के शिक्षकों द्वारा परीक्षार्थियों की निगरानी भी की जाने लगी. वैसे तो जिला स्कूल राणा बिगहा में इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की व्यवस्था है, लेकिन विषयवार शिक्षकों की कमी के कारण विद्यालय में नामांकित लगभग साढ़े पांच सौ छात्र-छात्राओं को समुचित पढ़ाई नहीं मिल पा रही है. विद्यालय के माध्यमिक सेक्शन में वर्तमान में महज छह शिक्षक नियुक्त हैं.
इनमें कई प्रमुख विषयों गणित, हिन्दी, म्यूजिक, होमसाइंस तथा शारीरिक शिक्षा के शिक्षक नहीं है. इसी प्रकार विद्यालय के इंटरमीडिएट सेक्शन में नौ शिक्षक नियुक्त है, लेकिन इनमें भी मैथ्य, इंग्लिश, फिजिक्श आदि प्रमुख विषयों के शिक्षक नहीं है. विद्यालय के कई छात्र छात्राओं ने बताया कि शिक्षकों के अभाव में उन्हें ट्यूशन, कोचिंग के माध्यम से ही अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है. इससे अभिभावकों पर अलग से आर्थिक बोझ पड़ता है.
भवन के बावजूद कमरों की कमी:जिला स्कूल राणा विगहा का विस्तृत परिसर तथा अलग-अलग स्थलों पर बने तीन भवनों के बावजूद कमरों की यहां कमी है. सच्चाई यह है कि लाखों रुपये की लागत से बने प्रशासनिक भवन का उद्घाटन के पूर्व ही जर्जर स्थिति हो चुकी है.
ग्रामीणों तथा असमाजिक तत्वों द्वारा यहां लगे लोहे के ग्रिल, बिजली के तार आदि को चुरा लिया गया है तथा खिड़कियों के शीशे आदि तोड़ दिये गये है. इससे यहां बेंच-डेस्क भी रखना मुनासिब नहीं है. कमोवेश यहीं स्थिति विद्यालय के इंटरमीडिएट भवन का भी है. इसीलिए विद्यालय द्वारा इन दोनों भवनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है. बल्कि पुराने भवन के महज 4-5 कमरों में विद्यालय संचालित किया जा रहा है.
एक ही कमरे में पुस्तकालय तथा प्रयोगशाला:पुराने भवन में कमरों की कमी के कारण एक ही कमरे में पुस्तकालय तथा प्रयोगशाला दोनों संचालित हो रहे हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि आवश्यक उपस्कर के अभाव में बेंचों को जोड़कर ही प्रयोगशाला का कार्य लिया जा रहा है. पुस्तकें भी आलमारी की शोभा बढ़ा रही हैं. बैठने की भी समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण विद्यालय के छात्र छात्राओं को प्रैक्टिकल तथा पुरस्तकालय की सुविधाओं से महरुम होना पड़ रहा है.
नहीं काम आ रहे लाखों रुपये के कम्पयूटर:जिला स्कूल को छात्र छात्राओं को कंप्यूटर सीखाने के लिए दर्जन भर कंप्यूटर उपलब्ध कराये गये हैं. यहां एक जेनरेटर भी मौजूद है. इसके बावजूद छात्र छात्राओं को कंप्यूटर का पर्याप्त प्रशिक्षण मिलना मुश्किल हो गया है. विद्यालय का बिजली का बकाया बिल जमा नहीं करने के कारण कनेक्शन काट दिया गया है. लगातार जेनरेटर चलाकर कंप्यूटर प्रशिक्षण जारी रखना विद्यालय के बस में नहीं है. कंप्यूटर शिक्षक ने बताया कि जरूरत पड़ने पर जेनरेटर चालू कर विद्यार्थियों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जाती है.
बुनियादी सुविधाओं की स्थिति:
जिला स्कूल राणा बिगहा में कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. विद्यालय में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से छात्र छात्राओं को काफी कठिनाई होती है. शौचालय में भी पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण यहां मौजूद दो शौचालय काम में नहीं आ रहे हैं. विद्यालय में उपस्कर की भारी कमी है. प्रयोगशाला तथा पुस्तकालय भी सुचारू रूप से कार्यरत नहीं है. विद्यालय की बाउंड्री पंचाने नदी की ओर टूटी है. जिससे ग्रामीण महिलाएं शौच आदि के लिए भी विद्यालय परिसर में प्रवेश कर जाती है. हालांकि विद्यालय की छात्राओं के लिए इसी वर्ष से एनसीसी की जुनियर बिंग की शुरुआत की गई है.

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