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नालियों के कचरे से बनेंगे वर्मी कंपोस्ट

पीपी मोड में नगर निगम लगाने जा रहा प्लांट बिहारशरीफ : नालियों और घरों से निकलने वाले कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाया जायेगा. इसके लिये पहल की जा रही है. जल्द ही शहर में ठोस कचरा प्रबंधन का प्लांट लगाया जायेगा. इसके लिये नगर निगम के द्वारा काफी दिनों से प्रयास किया जा रहा है. […]

पीपी मोड में नगर निगम लगाने जा रहा प्लांट

बिहारशरीफ : नालियों और घरों से निकलने वाले कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाया जायेगा. इसके लिये पहल की जा रही है. जल्द ही शहर में ठोस कचरा प्रबंधन का प्लांट लगाया जायेगा. इसके लिये नगर निगम के द्वारा काफी दिनों से प्रयास किया जा रहा है. नगर निगम के प्रधान सचिव की ओर साकारात्मक सहयोग मिलने से नगर निगम गदगद है. पीपी मोड यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत ठोस कचरा प्रबंधन का प्लांट लगाये जाने की योजना है. पहले चरण में शहर के तीन-वार्डों का चयन किया गया है. इन तीन वार्डों के घरों व नालियों से निकलने वाले कचरे का ठोस प्रबंधन किया जायेगा. पहले चरण में सफलता मिलने पर पूरे शहर में इसी तरह का प्रबंधन कर कचरे को ठोस रूप दिया जायेगा.
प्लांट लगाने पर छह करोड़ रुपये होंगे खर्च :ठोस कचरा प्रबंधन पर छह करोड़ रुपये खर्च होंगे. पीपी मोड में प्लांट लगाये जाने के कारण 60 फीसदी शेयर कंपनी और 40 फीसदी नगर निगम का होगा. इस तरह नगर निगम को दो करोड़ 50 लाख रुपये ही व्यय करना होगा. कंपनी के साथ नगर निगम का 25 साल का एकरारनामा होगा. एक बार प्लांट लग जाने पर वह 25 साल तक काम करता रहेगा.
प्रथम चरण में तीन वार्डों का होगा कल्याण: प्रथम चरण के लिये शहर के तीन वार्डों का चयन किया गया है. इसमें 21, 22 व 23 शामिल है. प्लांट लगाने के लिये बाजार समिति व गगन दीवान का चयन किया गया है. इन दोनों स्थलों पर उक्त तीन वार्ड के कचरे को संग्रह करके प्रोसेसिंग करने का कार्य किया जायेगा. कचरे से तैयार वर्मी कंपोस्ट की मार्केटिंग भी की जायेगी. मार्केटिंग से नगर निगम को दो फीसदी रायल्टी भी मिलेगी. प्रतिदिन पांच टन कचरे को ठोस रूप दिये जाने वाले मशीन लगाये जाने की योजना है. प्लांट लगाये जाने के लिये दो कंपनी ने प्रेजेंटेशन दिया था. इसमें केरला एग्रो इंडस्ट्रीज व फामर्स एंड केमिकल कंपनी है. इसमें से सबसे कम रेट केरला एग्रो का है. कंपनी से 11 करोड़ 07 लाख रुपये की है. इसमें से 500 किलो के प्लास्टिक कचरे को हटा दिये जाने पर प्लांट पर छह करोड़ खर्च आता है. इस प्रस्ताव को विभाग के प्रधान सचिव को भेजा गया. प्रधान सचिव ने सहमति देते हुए नगर आयुक्त को आदेश दिया है कि कंपनी के द्वारा पहले से कार्यरत प्लांट के कार्यों से अवगत होकर निर्णय ले सकते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
ठोस कचरा प्रबंधन करने का बेहतर तरीका प्लांट लगाया जाना है. कचरे को जहां-तहां फेंके जाने के स्थान पर प्लांट लगाया जाना ज्यादा उचित है. पीपी मोड में नगर निगम को खर्च भी कम करना पड़ेगा. कचरे से बने पदार्थो की बिक्री से नगर निगम को आय भी होगी. एक बार प्लांट लग जाने के बाद 25 साल तक प्लांट काम करता रहेगा. कचरे को उठाने,अलग करने से लेकर प्रोसेसिंग का काम कंपनी के द्वारा किया जायेगा. सहमति मिलने और कंपनी के साथ एकरारनामा होने के बाद पांच माह तक चयनित वार्डों के लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जायेगा. इस अवधि में कंपनी के द्वारा सारे मशीन को लगाकर चालू कर दिया जायेगा.
कौशल कुमार, आयुक्त, नगर निगम, बिहारशरीफ

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