बिहार-झारखंड की लाइफ लाइन पर रोज लग रहा जाम

एनएच 31 पर जाम में फंसकर कराह रहे यात्री बिहारशरीफ : बख्तियारपुर-रजौली एनएच 31 आये दिन जाम लग रहा है. करीब 108 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर रोज-रोज लगने वाले जाम में फंसकर यात्री कराह रहे हैं. एनएच 31 झारखंड के बरही में राजमार्ग संख्या 02 जिसे जीटी रोड भी कहते हैं, से शुरू होकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2017 2:38 AM

एनएच 31 पर जाम में फंसकर कराह रहे यात्री

बिहारशरीफ : बख्तियारपुर-रजौली एनएच 31 आये दिन जाम लग रहा है. करीब 108 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर रोज-रोज लगने वाले जाम में फंसकर यात्री कराह रहे हैं. एनएच 31 झारखंड के बरही में राजमार्ग संख्या 02 जिसे जीटी रोड भी कहते हैं, से शुरू होकर बिहार के नवादा, नालंदा, व पटना के बख्तियारपुर होते हुए बेगूसराय, पूर्णिया,पश्चिम बंगाल, असाम तक जाती है. इस कारण एनएच 31 को बिहार व झारखंड का लाइफ लाइन भी कहा जाता है.
बिहार-झारखंड के इस लाइन के जाम के चंगुल में फंसे रहने के कारण पर्यटकों के अलावा आम लोगों की काफी फजीहत हो रही है. इस रास्ते गुजरने वाले यात्रियों के अलावा वाहन चालकों को जाम में फंसने के कारण दम फूल रहा है.
जाम लगने की वजह बने है संकीर्ण रास्ते : एनएच 31 पर जाम लगने की वजह इस मार्ग का संकीर्ण हो जाना है. एनएच 31 कई मुख्य बाजारों से होकर गुजरा है. इन बजारों में सड़क के किनारे वाहन खड़ा रहने, अतिक्रमण कर लिये जाने व दिनों दिन वाहनों की हो रही बेतहाशा वृद्धि से जाम की समस्या आम हो गयी है. इस मार्ग पर कई चौराहे व क्रॉसिंग हैं. इसके कारण भी परेशानी बढ़ी हुई है.
दिनों-दिन सड़क की हालत जर्जर :
कभी इस एनएच 31 पर गाड़ियां सरपट दौड़ती थी, मगर इसका सही तरीके से रखरखाव नहीं होने की वजह से यह मार्ग जर्जर होता जा रहा है. नवादा से बख्तियारपुर तक जगह-जगह सड़क पर गड‍्ढे हो गये हैं. इसके कारण इस मार्ग पर चलने वाले यात्री हिचकोले खाने को मजबूर हो रहे हैं.
एनएच 31 के चौड़ीकरण की जिम्मेदारी अब केंद्र की : निर्माण एजेंसी के हाथ खींच लेने के बाद राज्य सरकार ने एनएच 31 को केंद्र सरकार के हवाले कर दिया है. अब केंद्र सरकार इस मार्ग को फोर लेन में तब्दील करायेगी. एनएचएआई इसके लिए कार्य योजना तैयार कर रही है.
तीन साल से लटका है फोर लेन का मामला
सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी. पीपीपी मोड पर एनएच 31 को फोर लेन में तब्दील किया जाना था. इसके निर्माण की जिम्मेदारी मधुकॉन कंपनी को सौंपी गयी थी. इस मार्ग के निर्माण के लिए सड़क किनारे के पेड़ों की कटाई भी की गयी थी. बाद में एनओसी नहीं मिलने के कारण पावापुरी से आगे पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गयी. इसके बाद भूमि अधिग्रहण में विलंब से लागत बढ़ती जा रही थी. इसलिए मधुकॉन कंपनी ने इस एनएच के निर्माण से अपना हाथ खींच लिया. तब से यह मामला अटका पड़ा है और बिहार-झारखंड के लोग इसका खामियाजा भुगत रहे हैं.

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