श्रद्धालुओं से मघड़ा गुलजार, िलया मां का आशीर्वाद
कई गांवों में नहीं जले चूल्हे बसियौरा का खाया प्रसाद बिहारशरीफ : शीतलाष्टमी मेले को लेकर शुक्रवार को मघड़ा स्थित श्री शीतला माता मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. कई जिलों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने पहुंचे. शीतला माता मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से गुलजार रहा. एक तरफ मंदिर […]
कई गांवों में नहीं जले चूल्हे बसियौरा का खाया प्रसाद
बिहारशरीफ : शीतलाष्टमी मेले को लेकर शुक्रवार को मघड़ा स्थित श्री शीतला माता मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. कई जिलों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करने पहुंचे. शीतला माता मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से गुलजार रहा. एक तरफ मंदिर में पूजा करनेवाले श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही. साथ ही लोगों ने मुंडन संस्कार भी कराया. श्री शीतला संरक्षक पंडा कमेटी के अध्यक्ष सुधीर चंद्र मिश्र ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार शीतला माता चेचक जैसी भयानक बीमारी को नियंत्रित तथा समूल नष्ट करने वाली शक्ति के रूप में प्राचीन काल से ही पूजी जाती रही है. उनके एक हाथ में झाड़ू तथा दूसरे हाथ में कलश पात्र तथा नीम की टहनियां होती हैं . शीतला माता का यह स्वरूप श्रद्धालुओं के लिए उत्तम स्वास्थ्य तथा कल्याण प्रदान करनेवाली है.
उन्होंने बताया कि मघड़ा स्थित शीतला माता का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है. यही कारण है कि यहां पूरे राज्य से भारी संख्या में श्रद्धालु तथा चेचक के मरीज पूजा अर्चना करने आते हैं .वैसे तो माता शीतला के आशीर्वाद से श्रद्धालुओं को जन जन तथा पुत्र रत्न के साथ साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. माता का स्वरूप अत्यंत कल्याणकारी है. शीतलाष्टमी के दिन श्रद्धालुओं को बासी भोजन माता को समर्पित कर ही ग्रहण करना चाहिए इस दिन घरों में झाड़ू का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा अग्नि प्रज्वलित नहीं की जानी चाहिए .उन्होंने बताया कि शीतलाष्टमी की रात में श्रद्धालुओं को जागरण करना चाहिए तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.
सप्तमी को बना भोजन अष्टमी को खाया : शुक्रवार को शीतलाष्टमी के मौके पर मघड़ा सहित आसपास के दर्जनों गांवों में लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जलाये गये बल्कि घरों में लोगों ने सप्तमी तिथि को बनाये गये भोजन को बसियौरा के प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. भारी संख्या में स्थानीय लोग भी शीतलाष्टमी को माता के दर्शन के लिए मघड़ा पहुंचे.