बिहारशरीफ : बिहार के नालंदा जिले के राजगीर स्थित वन विभाग के गेस्ट हाउस में चोरी हुए टीवी का आरोप अपने ऊपर लेने का दबाव बनाते हुए वन विभाग के पांच दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की बुरी तरह पिटाई के आरोप में राजगीर थाना प्रभारी विजेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया गया है.
पटना प्रक्षेत्र के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार के निर्देश पर नालंदा जिले के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार पोरिका ने राजगीर थानाध्यक्ष विजेंद्र कुमार को रविवार को निलंबित कर दिया. पीड़ित कर्मियों में से एक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उक्त गेस्ट हाउस में ठहरने पर उनके लिए खाना बनाने का काम करता था. इस मामले को लेकर मीडिया में जारी एक वीडियो में जिला वन पदाधिकारी नेसमणि ने घटना पर नाराजगी जताते हुए पुलिस अधीक्षक से कह रहे हैं, ‘‘अगर इनपर चोरी का आरोप सही पाया जाता] तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती ना कि उनकी इतनी बेहरमी से पुलिस पिटाई करती.’
नेसमणि ने पुलिस अधीक्षक से कहा, ‘‘या तो थानेदार (राजगीर) आपके नियंत्रण में नहीं हैं या फिर आपने स्वयं इस मामले को अपने स्तर पर नहीं देखा. इनका जख्म देख कर लगता है कि एक-एक को सौ-सौ डंडे से अधिक मारा गया है.’ बुरी तरह से पिटाई किये जानेवाले उक्त, जो कि जमीन पर लेटे हुए दर्द से कराह थे, में से एक की ओर इशारा करते हुए नेसमणि ने पुलिस अधीक्षक से कहा, ‘‘बताइए वह सीएम को खाना खिलाता था. जो रिपोर्ट करने जाये उसी के साथ ऐसा व्यवहार किया जाये. यह तो डबल क्राइम है. सभी का मेडिकल करायेंगे और अब कोर्ट में सीधा रिपोर्ट करेंगे. ये लोग ही पिटाई करनेवाले पुलिसकर्मियों की पहचान करेंगे.’
वन विभाग के गेस्ट हाउस जिन दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की पुलिस द्वारा पिटाई की गयी है, उनमें राजगीर के ठाकुर स्थान निवासी कामता राजवंशी, फल्गु के राजेश कुमार एवं मिथिलेश कुमार, चेतनालय के सत्येंद्र यादव और भोजपुर के उचित प्रसाद शामिल हैं. पुलिस पर इन कर्मियों को पकड़ कर पहले राजगीर के जंगल में ले जाकर पिटाई करने और उसके बाद राजगीर थाना ले जाकर उल्टा लटकाकर बुरी तरह पीटने का आरोप है. थाने में पिटाई करने के बाद पुलिस ने इन कर्मियों को ले जाकर वन विभाग के गेस्ट हाउस में छोड़ दिया, जहां उन्हें देखने जिला वन अधिकारी नेसमणि पहुंचे थे.
क्या है मामला
तीन दिन पूर्व राजगीर के वन विभाग के गेस्ट हाउस से एक टीवी चोरी हो गयी थी. इस गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आकर रुका करते हैं. चोरी की इस वारदात में कहीं दरवाजा टूटने और सेंधमारी की कोई बात सामने नहीं आने और दरवाजा खोलकर टीवी चुराये जाने पर पुलिस को शक हुआ था कि चोरी की घटना में कहीं ना कहीं कर्मियों की संलिप्तता रही होगी. इसलिए उसने वन विभाग के इन कर्मियों को हिरासत में लिया था.