बिहारशरीफ : जिले में धान अधिप्राप्ति कार्य को लेकर शुरू से ही एसएफसी का रवैया सहयोगात्मक नहीं रहा है. ये बातें मंगलवार को नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सह अस्थावां क्षेत्र के विधायक डॉ जितेंद्र कुमार ने निदेशक मंडल की बैठक के दौरान कहीं.
उन्होंने कहा कि एसएफसी द्वारा अब तक विभिन्न पैक्स व किसानों को लगभग 32 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया है. इसका खामियाजा नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को भी भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि अधिप्राप्ति कार्य में बैंक का डिपोस्टर का 20 करोड़ से अधिक रुपये लगे हैं. इधर, बैंक को एसएफसी द्वारा भुगतान नहीं किये जाने की कारण गंभीर व्यवस्था उत्पन्न हो गयी है. बैठक में एसएफसी के पदाधिकारियों द्वारा एक सप्ताह के भीतर राशि का भुगतान करने का आश्वासन दिया गया है. इस पर भी निदेशक मंडल को भरोसा नहीं हो पा रहा है.
तीन अलग-अलग चेकों के माध्यम से अब तक लगभग 6.5 करोड़ रुपये एसएफसी द्वारा नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को दिया गया है, जो तीनों चेक बाउंस कर गये हैं. इसलिए निदेशक मंडल को एसएफसी के वादे पर भरोसा नहीं हो पा रहा है. को-ऑपरेटिव बैंक की मदद न तो सहकारिता विभाग द्वारा की जा रही है और न ही खाद्य आपूर्ति विभाग द्वार की जाती है. इसके कारण हीं बैंक तथा पैक्स दोनों मुश्किल में पड़े हैं. किसानों को परेशानी अलग हो रही है.
निदेशक मंडल की बैठक में ब्याज की राशि के भुगतान पर भी चर्चा की गई. चूंकि बैंक द्वारा लगभग 20 करोड़ रुपये से अधिक स्वयं की राशि अधिप्राप्ति कार्य में लगा दिया गया है. ऊपर से लगभग 12 करोड़ रुपये किसानों के खातों में पड़े हैं. इनके ब्याज का भुगतान किसके द्वारा किया जायेगा. यह भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है.
फिलहाल निदेशक मंडल को एसएफसी द्वारा राशि भुगतान का इंतजार है. बैठक में निदेशक मंडल के उपाध्यक्ष पंकज कुमार, बैंक के प्रबंध निदेशक शशिभूषण कुमार, निदेशक मंडल के सदस्य पंकज कुमार, राजेश कुमार, रामविलास प्रसाद, बिंदेंश्वरी वर्मा, चंद्रभूषण प्रसाद आदि मौजूद थे.
* धान अधिप्राप्ति के 32 करोड़ रुपये एसएफसी के पास बकाया
* मनालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को दिये गये तीनों चेक बाउंस
* ब्याज का भुगतान भी गंभीर समस्या