नियुक्ति के लिए बने नेशनल टीचर्स सर्विस कैडर
* राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षा नीति में सुधर पर दिया गया बलबिहारशरीफ : गिरियक प्रखंड के पावापुरी में अवस्थित वीरायतन बीएड कॉलेज में रविवार को शिक्षकों की नियुक्ति समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति हेतु ‘नेशनल टीचर्स सर्विस कैडर’ गठित […]
* राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षा नीति में सुधर पर दिया गया बल
बिहारशरीफ : गिरियक प्रखंड के पावापुरी में अवस्थित वीरायतन बीएड कॉलेज में रविवार को शिक्षकों की नियुक्ति समस्याएं, चुनौतियां एवं समाधान विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया.
सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति हेतु ‘नेशनल टीचर्स सर्विस कैडर’ गठित किया जाना चाहिए. सेमिनार में शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने, गैर शैक्षणिक कार्यो से शिक्षकों को अलग रखने, वित्तीय अनुदान की बजाय वित्तरहित संस्थानों का अधिग्रहण करने, इंटरमीडिएट से पीजी स्तर तक ‘शिक्षा’ विषय की पढ़ाई करने, सभी प्रशिक्षित युवकों को शिक्षक पद पर बहाल करने, प्रशिक्षण महाविद्यालयों की संख्या बढ़ाने तथा उसकी नियुक्ति एवं वेतन की विसंगतियों को दूर करने, आरटीइ में शिक्षकों की भूमिका चिन्हित करने समेत 51 सुझावों से संबंधित प्रस्ताव भी पारित किये गये. सेमिनार में विभिन्न राज्यों के 500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
वक्ताओं ने राज्य के सभी ट्रेनिंग कॉलेजों में व्याख्याताओं की बहाली खुली भरती प्रक्रिया के तहत करने तथा शिक्षक बहाली के लिए प्रशिक्षित युवकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त करने की आवश्यकता जतायी.
उन्होंने संविदा पर बहाली का कड़ा विरोध किया. सेमिनार के संयोजक तथा वीरायतन बीएड कॉलेज के प्रचार्य डॉ. राधाकृष्ण सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने सेमिनार के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक के अभाव में शिक्षा की चर्चा भी बेमानी लगती है.
अभी देश के विद्यालयों में 50 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं. कॉलेज और विश्वविद्यालय शिक्षकों के बिना मृत प्राय है. उन्होंने सरकार से व्याख्याताओं की बहाली करने तथा राजकीय प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षा संवर्ग के पदाधिकारियों के स्थान पर सीनियर प्राध्यापकों को पदस्थापित करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि बीएड एवं एमएड की पढ़ाई सभी कॉलेजों में होनी चाहिए. तभी हम शिक्षकों की जरूरतों को समय पर पूरा कर सकेंगे. इस अवसर पर कॉलेज की पत्रिका ‘शकुंतला’, सेमिनार की स्मारिका, हिंदी शैक्षिक मासिकी ‘कुशाग्र’, शिक्षा जर्नल ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च’, जैन-शिक्षा आदि पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं का भी लोकार्पण किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत श्री गणोश कॉलेज की चेयरमैन साधवी डॉ. संप्रज्ञा जी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ राजमणि प्रसाद सिंह, एनसीटीइ पूर्वोत्तर के वरिष्ठ सदस्य तथा पूर्व प्राचार्य डॉ अली इमाम, मगध विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ डीके यादव, शिक्षा संकायाध्यक्ष डॉ इजराइल खान, पटना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकायाध्यक्ष डॉ खगेंद्र कुमार तथा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राधाकृष्ण सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. डॉ. साधवी संप्रज्ञा ने कहा कि गुरु बनना असाधारण कार्य है. आज के गुरु को भी ज्ञान की आवश्यकता है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है. शिक्षक वही है जो बच्चों को जिज्ञासा से भर दे और उनको जीवन की सही दिशा बतलाये. मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. डीके यादव ने विशिष्ट अतिथि पद से कहा कि शिक्षकों को नियम सत्य नियुक्ति व वेतन के बारे में सरकार को संवेदनशील होना पड़ेगा.
इस कारण शिक्षा के सामने समस्याएं खड़ी हो रही हैं. सेमिनार को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. सिंह, डॉ. अली इमाम, डॉ. इजराइल अहमद ने संबोधित किया.
इस अवसर पर पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं का मिलन समारोह भी आयोजित किया तथा सोनी आनंद की अध्यक्षता में पुरातन छात्र संघ का गठन किया गया. संघ के महासचिव भारतेंदू भूषण तथा कार्यकारिणी में रविकांत, अर्चना कुमारी, नीतू आदि सदस्य बनाये गये. संघ ने निर्णय किया कि प्रतिवर्ष कॉलेज के स्थापना दिवस पर संघ का सम्मेलन होगा.
इस अवसर पर वर्ष 2012 की परीक्षा में कॉलेज में सर्वोत्तम अंक लाने के लिए सुश्री तन्नू श्री चौधरी को सम्मानित किया गया. इस मौके पर प्रो. कुसुलता कुमारी, प्रो. मनीष कुमार सिंह, प्रो. सुशांत सौरभ, प्रो. ललन प्रकाश सहनी, प्रो. श्वेता सिन्हा, प्रो. नीरज कुमार यादव, प्रो. कामनाश्री एवं मो. अतीक हैदर खान, प्राचार्य डॉ. कुमार सत्येंद्र यादव, फखरूद्दीन अहमद, डॉ. सतीश प्रसाद सिंह, डॉ. चंद्रसेन, डॉ. शशि प्रभा, डॉ. उपेंद्र शर्मा, प्रो. उफषा किरण, संजू कुमारी, माध्वी कुमारी, डॉ. गणेश शंकर पांडेय, सोनी आनंद आदि ने संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मनीष कुमार सिंह एवं ललन प्रकाश सहनी ने किया.