नालंदा : शव ले जाने के लिए नहीं मिला वाहन, कंधे पर शव लेकर चल पड़ा पिता, DM ने लिया संज्ञान, मांगा स्पष्टीकरण
नालंदा : सूबे के स्वास्थ्य क्षेत्र में खस्ताहाली के सवालों से घिरी राज्य सरकार के लिए एक और शर्मिंदगी की खबर सामने आयी है. नालंदा जिले में अस्पताल प्रशासन ने एक पिता को शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया. इस कारण उसे मृत पुत्र का शव कंधे पर रख कर ही वापस ले जाना पड़ा. बताया […]
नालंदा : सूबे के स्वास्थ्य क्षेत्र में खस्ताहाली के सवालों से घिरी राज्य सरकार के लिए एक और शर्मिंदगी की खबर सामने आयी है. नालंदा जिले में अस्पताल प्रशासन ने एक पिता को शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया. इस कारण उसे मृत पुत्र का शव कंधे पर रख कर ही वापस ले जाना पड़ा.
बताया जा रहा है कि मृत बच्चा नालंदा जिले के परवलपुर के सागर सीता बिगहा का रहनेवाला था. वह अपने गांव में ही साइकिल चलाते हुए अचानक बेहोश हो गया. इसके बाद परिजनों ने निजी क्लिनिक में भर्ती कराया. हालांकि, उसे वहां से सदर अस्पताल बिहारशरीफ रेफर कर दिया गया, जहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
पिता को कंधे पर रखकर ले जाना पड़ा शव
बताया जा रहा है कि बिहारशरीफ सदर अस्पताल प्रशासन की ओर से मृत बच्चे के पिता को शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया. इस स्थिति में पिता अपने आठ साल के बेटे का शव कंधे पर रख कर ही अस्पाल से निकल पड़ा. बच्चे का शव कंधे पर रख कर पिता बाइक से घर वापस आया.
जरूरतमंदों को नहीं दिये जाते शव वाहन
जिला अस्पताल को एक शव वाहन मिला हुआ है. ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में लोगों को शव वाहन नहीं दिया जाता है, जबकि कोई भी मृतक के लिए यह सुविधा जब उपलब्ध है.
जिलाधिकारी ने लिया मामले का संज्ञान
जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन परमानंद चौधरी से पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही जिलाधिकारी ने सवाल उठाया है कि शव वाहन रहते हुए भी जरूरतमंदों को शव वाहन क्यों नहीं दिये जाते हैं?