सीएए व एनआरसी के विरोध में निकाला गया मौन जुलूस

बिहारशरीफ : नागरिकता संशोधन कानून एवं एनआरसी के विरोध में मंगलवार को अंजुमन मुफीदुल इस्लाम द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से शहर में मौन जुलूस निकाला गया. जिला प्रशासन द्वारा शहर में किसी प्रकार के जुलूस या प्रदर्शन पर रोक लगा दिया गया है. इस बात को ध्यान में रखते हुए मौन जुलूस को सोगरा कॉलेज के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2019 10:24 AM

बिहारशरीफ : नागरिकता संशोधन कानून एवं एनआरसी के विरोध में मंगलवार को अंजुमन मुफीदुल इस्लाम द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से शहर में मौन जुलूस निकाला गया. जिला प्रशासन द्वारा शहर में किसी प्रकार के जुलूस या प्रदर्शन पर रोक लगा दिया गया है. इस बात को ध्यान में रखते हुए मौन जुलूस को सोगरा कॉलेज के समीप ही रोक दिया गया, जिसके बाद वहीं पर एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें इन कानूनों का विरोध दर्ज कराया गया.

एक स्मार पत्र नालंदा के जिलाधिकारी को सौंपा गया. जिलाधिकारी के माध्यम से यह स्मार पत्र राष्ट्रपति तक पहुंचाने की बात कही गयी. इस जुलूस में काफी संख्या में लोग शामिल हुए. शहर की बड़ी दरगाह स्थित मेला मैदान की सभा में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध किया गया.
पूर्व विधायक नौशाद उन नबी उर्फ पप्पू खान के नेतृत्व में मौन जुलूस निकाला गया था. जुलूस को सोगरा कॉलेज के मैदान के समीप पहुंचते ही पुलिस अधीक्षक निलेश कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक अजय कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर इमरान परवेज़ सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल पहले से ही वहां मौजूद थे. वहां से जुलूस को आगे नहीं जाने दिया गया. जिसके बाद जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह वहां पर पहुंचे और लोगों को मांग पत्र को लेने का काम किया.
इस मौके पर हजारों की तादाद में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक पप्पू खान ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा यह काला कानून लाया गया है जो कि गरीबों, वंचितों के खिलाफ है. यह कानून किसी विशेष धर्म के नहीं, बल्कि सभी जाति, धर्म के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि प्रशासन के द्वारा जो रोक लगाने का काम किया गया है उसका सभी लोगों को सम्मान रखना चाहिए. प्रशासन ने अपना काम किया है.
हम लोगों की अपनी बातों को रखना था, जिसे हमने रखने का काम किया है. जुलूस में शामिल लोग अपने हाथों में तिरंगा, बैनर, तख्ती लिये थे जिस पर कई प्रकार के स्लोगन लिखे गये थे. प्रशासन द्वारा रोक लगाने के बाद जुलूस में शामिल लोग वहीं पर बैठ गये और वहीं पर लोगों को संबोधित किया गया, जिसके बाद कार्यक्रम संपन्न हो गया.

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