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नालंदा : व्यवस्था सुधारी, तो प्राइवेट स्कूलों से नाम कटा सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेने आये बच्चे

उज्ज्वलानंद गिरि नालंदा के मिडिल स्कूल, पोखरपुर ने बनायी अलग पहचान बिहारशरीफ (नालंदा) : सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को कोसनेवालों की कमी नहीं है, लेकिन जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, पोखरपुर को देखकर लोगों की सोच बदल जायेगी. यह स्कूल जाने-माने निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है. यही कारण है कि आसपास […]

उज्ज्वलानंद गिरि
नालंदा के मिडिल स्कूल, पोखरपुर ने बनायी अलग पहचान
बिहारशरीफ (नालंदा) : सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को कोसनेवालों की कमी नहीं है, लेकिन जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, पोखरपुर को देखकर लोगों की सोच बदल जायेगी. यह स्कूल जाने-माने निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है.
यही कारण है कि आसपास के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब इसी स्कूल में एडमिशन कराने लगे हैं. गिरियक प्रखंड के पोखरपुर गांव के पास एनएच-31 पर स्थापित यह स्कूल अपनी कई विशेषताओं के कारण अन्य सरकारी स्कूलों के लिए एक मिसाल बन गया है. अनुशासन भी ऐसा है कि एक मिनट की देर होते ही छात्र-शिक्षकों की उपस्थिति कट जाती है.
इसके चलते छात्र और शिक्षक निर्धारित समय के आधा घंटा पहले ही स्कूल पहुंच जाते हैं. स्कूल में पहली से आठवीं कक्षा तक में लगभग 317 बच्चे नामांकित हैं. इनमें दो-तिहाई छात्राएं हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में 14 शिक्षक पदस्थापित हैं. स्कूल को संवारने में प्रधानाध्यापक आलोक कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.
बच्चे खेलकूद में भी अव्वल : स्कूल के बच्चों के लिए हर रोज असेंबली का आयोजन निजी स्कूलों के तर्ज पर किया जाता है. शिक्षक, बाल संसद और मीना मंच के सदस्य मिनट भर में बच्चों को विभिन्न आकृतियों में सजा कर अलग-अलग कराते हैं. स्कूल की दो छात्राएं वर्ष 2009 में कराटे खेलने सिंगापुर जा चुकी हैं.
स्कूल में हैं 317 बच्चे और 14 शिक्षक, बदल दी स्कूल की सूरत
अहम बदलाव
– समय का सख्ती से पालन
– ड्रेस कोड लागू
– मिड डे मील का का अच्छे से संचालन
– प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाना
– बच्चों के सर्वांगीण विकास पर जोर
अहम उपलब्धियां
– अब तक 64 बच्चे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल
– 2019 में 18 बच्चे मेधा छात्रवृत्ति के लिए चयनित
– 2009 में दो छात्राएं कराटे खेलने जा चुकी हैं सिंगापुर
क्या कहते हैं अधिकारी
यह स्कूल अन्य सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल है. कम संसाधन में भी इस स्कूल ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह अत्यंत ही सराहनीय है. शिक्षकों में कार्य करने का जज्बा होना चाहिए.
मनोज कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, नालंदा

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