जिले के 213 लोग फ्लोरोसिस से पीड़ित
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से बढ़ रहा रोग का खतरा 20 प्रखंडों में पानी में फ्लोराइड की मात्र पायी गयी बिहारशरीफ (नालंदा) : जिले में फ्लोराइडयुक्त पानी पीने वालों में फ्लोरोसिस रोग का खतरा बढ़ता जा रहा है. नालंदा उन जिलों में शामिल है,जहां का पानी फ्लोराइड से प्रभावित है. फ्लोराइड प्रभावित जिलों में नालंदा के […]
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से बढ़ रहा रोग का खतरा
20 प्रखंडों में पानी में फ्लोराइड की मात्र पायी गयी
बिहारशरीफ (नालंदा) : जिले में फ्लोराइडयुक्त पानी पीने वालों में फ्लोरोसिस रोग का खतरा बढ़ता जा रहा है. नालंदा उन जिलों में शामिल है,जहां का पानी फ्लोराइड से प्रभावित है. फ्लोराइड प्रभावित जिलों में नालंदा के अलावा कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, शेखपुरा, जमुई, बांका, मुंगेर,नवादा एवं भागलपुर शामिल है.
नालंदा जिले के 20 प्रखंडों में पानी में फ्लोराइड की मात्र पायी गयी है. इस फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से जिले के 213 लोग प्रभावित हैं. पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्र सबसे अधिक राजगीर अनुमंडल एवं बिहारशरीफ अनुमंडल क्षेत्र में है. इसके अलावा हिलसा अनुमंडल के भी कुछ गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्र पायी गयी है.
फ्लोराइड युक्त पानी पीने से रोग
फ्लोराइड पानी पीने से फ्लोरोसिस नामक बीमारी होती है. इस बीमारी में दांत पीला हो जाता है, दांतों में धब्बे पड़ जाते हैं. यही नहीं पानी में फ्लोराइड की मात्र अधिक हो जाने पर उसका उपयोग करने वाले लोगों के हाथ -पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं. दांत पीला होने व दांतों में धब्बे पड़ने के अनेक शिकायते मिली हैं, लेकिन हाथ पैर टेढ़ा होने की शिकायत अभी जिले में नहीं मिली है.
जिले में खुलेंगे पानी की जांच के लिए तीन लैब
पीने के पानी में आयरन, फ्लोराइड व असैनिक तत्वों की मौजूदगी की जांच के लिए जिलास्तर पर बिहारशरीफ में एक लैब कार्य कर रहा है. राज्य सरकार ने पीने के पानी में मौजूद अवयवों की जांच के लिए तीन नये जांच प्रयोगशाला खोलने का निर्णय लिया है.
इस निर्णय के तहत राजगीर, हिलसा व हरनौत में पानी की जांच के लिए लैब की स्थापना की जायेगी. इन लैबों को खोलने का उद्देश्य यह है कि लोगों के द्वारा उपयोग किये जा रहे पानी में मौजूद अवयवों का पता लगाना है और इससे बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाना है.
बचाव के उपाय
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से होने वाली फ्लोरोसिस बीमारी से बचाव के लिए फ्लोराइड युक्त पानी वाले क्षेत्रों में मल्टी विलेज पाइप वाटर सप्लाई योजना चलायी जा रही है. अधिक आबादी वाले गांवों को पेयजलापूर्ति योजना से जोड़ी जा रही है.
बिजली चालित जलापूर्ति केंद्रों के अलावा सौर ऊर्जा चालित जलापूर्ति केंद्र भी बनाये गये हैं. विभाग का मानना है कि कम गहराई वाले हैंड पंपों में फ्लोराइड की मात्र अधिक पायी जाती है, जबकि अधिक गहराई वाले पंपों में फ्लोराइडयुक्त पानी की संभावना कम रहती है.