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गंभीर बीमारियों से लड़ कर भी जगा रहे हैं शिक्षा का अलख

बिहारशरीफ (नालंदा): हार्ट अटैक को झेला,आवाज गुम हो गयी,लेकिन शिक्षा से लगाव को खत्म होने नहीं दिया. 75 वर्ष की उम्र में गंभीर बीमारी से लड़ते हुए भी महावीर प्रसाद शिक्षा की लौ को कम होने नहीं दिया. आज भी बिहारशरीफ के भैंसासुर स्थित मॉडल मध्य विद्यालय में वे बच्चों को अनुशासन के साथ पढ़ाई […]

बिहारशरीफ (नालंदा): हार्ट अटैक को झेला,आवाज गुम हो गयी,लेकिन शिक्षा से लगाव को खत्म होने नहीं दिया. 75 वर्ष की उम्र में गंभीर बीमारी से लड़ते हुए भी महावीर प्रसाद शिक्षा की लौ को कम होने नहीं दिया. आज भी बिहारशरीफ के भैंसासुर स्थित मॉडल मध्य विद्यालय में वे बच्चों को अनुशासन के साथ पढ़ाई की नसीहत दे रहे हैं.

महावीर प्रसाद भले ही सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हैं, लेकिन मॉडल मध्य विद्यालय से उनका आज भी वैसा ही लगाव है, जैसे 25 वर्षो तक इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर रह कर इस विद्यालय के बच्चों के भविष्य संवारते रहे. इनके पढ़ाये कई बच्चे आज बड़े-बड़े ओहदे पर विराजमान है. इनके पढ़ाये मनोज कुमार जहां रेलवे में डीआरएम है वहीं इनके छात्र रहे रंजीत कुमार मधुकर झारखंड में इनकम टैक्स विभाग में कमिश्नर है. इनके एक छात्र रविकांत आज एसपी है. श्री प्रसाद जब इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापित हुए. तब से इस विद्यालय के चहुंमुखी विकास किया.

मानव संसाधन मंत्रलय से श्री प्रसाद को इस स्कूल में कठोर अनुशासन,नामांकन बढ़ाने, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या कम करने स्कूल में सांस्कृतिक और खेल महोत्सव, नवीनतम शिक्षण सहायक तकनीकों का प्रयोग के साथ-साथ कुशल प्रशासक के लिए वर्ष 1989 में राष्ट्रपति पुरस्कार का सम्मान प्राप्त हुआ. सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक श्री प्रसाद मॉडल मध्य विद्यालय को एक ऐसा आवासीय मध्य विद्यालय बनाया जहां डेढ़-दो सौ बच्चे रह कर जवाहर नवोदय, सैनिक स्कूल, नेतरहाट में नामांकन के लिए तैयारी करते हैं. श्री प्रसाद की ही यह देन है कि जिले का मॉडल मध्य विद्यालय एकमात्र आवासीय विद्यालय है, जहां आज भी काफी संख्या में बच्चे रह कर प्रतिष्ठित स्कूलों में प्रवेश के लिए तैयारी करते हैं.
जब श्री प्रसाद 1999 में इस स्कूल से सेवानिवृत्त हो गये, तब भी इस स्कूल में अपनी सेवा कभी इस विद्यालय के शिक्षा समिति के अध्यक्ष होने के रूप में तो कभी इस स्कूल समिति के सदस्य के रूप में दे रहे हैं. आज भी इनके कठोर अनुशासन के कारण बच्चे पूरे मन से पढ़ाई करते हैं. बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति इनकी इतनी चिंता रहती है कि आज गंभीर बीमारी के कारण इनकी आवाज चली गयी, फिर भी कॉपी पर लिख कर यहां के पढ़ने वाले बच्चों को अच्छे से पढ़ाई करने का निर्देश देते रहते हैं. इस गंभीर बीमारी में भी वे प्रतिदिन इस विद्यालय में आकर शिक्षकों के लिए प्रेरणा बने हुए है. छात्रों के प्रति उनका यह जज्बा शिक्षक दिवस पर प्रेरणादायक है.

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