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बिहारशरीफ के मदरसे में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक

बिहारशरीफ (नालंदा) : मदरसा अजीजिया, भरावपर में सितंबर से छात्राओं की पढ़ाई पर रोक लगा दी गयी है. प्रबंधन का कहना है कि शरीयत के हिसाब से लड़कों और लड़कियों के एक साथ पढ़ने की मनाही है. इस मदरसे में दोनों के लिए अलग-अलग कक्षाएं लगाने की व्यवस्था नहीं थी, इसी वजह से यह फैसला […]

बिहारशरीफ (नालंदा) : मदरसा अजीजिया, भरावपर में सितंबर से छात्राओं की पढ़ाई पर रोक लगा दी गयी है. प्रबंधन का कहना है कि शरीयत के हिसाब से लड़कों और लड़कियों के एक साथ पढ़ने की मनाही है.

इस मदरसे में दोनों के लिए अलग-अलग कक्षाएं लगाने की व्यवस्था नहीं थी, इसी वजह से यह फैसला लेना पड़ा. हालांकि, वास्तानिया, फोकानिया से लेकर मौलवी, आलिम व फाजिल तक की पढ़ाई करानेवाले इस मदरसे में पहले लड़कियां पढ़ा करती थीं. मगर नये सेक्रेटरी ने पद संभालने के बाद यह अजीबोगरीब फैसला लागू करा दिया है. इस फैसले से इलाके की लड़कियों में भारी नाराजगी है. नये फैसले के मद्देनजर इस मदरसे में लड़कियों का प्रवेश वजिर्त कर दिया गया है.

मेन गेट पर एक गार्ड को बैठा कर लड़कियों को अंदर जाने से मना कर दिया गया है. इस तरह वस्तानिया (आठवीं कक्षा) से लेकर फाजिल (एमए) तक की पढ़ाई करनेवाले इस संस्थान का लाभ उठाने से मुसलिम समुदाय की लड़कियां वंचित हो गयी हैं. इसके पूर्व इस मदरसे में लड़कियों को पढ़ाई करने की सुविधा उपलब्ध थी. यह फैसला एसएम शरफ के मदरसे के सेक्रेटरी बनने के बाद लिया गया है. इस फरमान से इस मदरसे में पूर्व से पढ़ रहीं छात्राओं का भी भविष्य अंधकारमय हो गया है. मदरसे के सेक्रेटरी एसएम शरफ ने बताया कि यह मदरसा केवल लड़कों के लिए है.

लड़कियों को यहां पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि पूर्व में यहां छात्राओं की पढ़ाई तो होती थी. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसलाम के मुताबिक लड़का व लड़की का एक साथ वर्ग में आने और पढ़ाई करने की मनाही है. पूर्व के सेक्रेटरी ने क्या किया, उसकी मुङो जानकारी नहीं है. मगर शरीयत के अनुसार, इस मदरसे में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी गयी है. हालांकि वह यह स्वीकार करते हैं कि लड़कियों की पढ़ाई जरूरी है, मगर इसके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. अलग क्लास रूम व महिला शिक्षक होनी चाहिए. इस मदरसे में लड़कियों के लिए न अलग क्लास की व्यवस्था है और न ही महिला टीचर हैं.

मदरसा अजीजिया के एचएम मुमताज आलम का भी यही कहना है. इधर, इस मदरसे में पढ़ाई से वंचित छात्राओं का रो-रो कर बुरा हाल है. अपने भविष्य की चिंता उन्हें खाये जा रही है. अभिभावकों के लाख समझाने के बावजूद लड़कियां पढ़ाई के सिवा अन्य कोई बात मानने को तैयार नहीं हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी कुमार सहजानंद ने कहा कि सरकारी अनुदान व सहायता प्राप्त करनेवाले मदरसों में इस तरह का आदेश देना गलत है. मदरसा अजीजिया शिक्षा विभाग से संबंधित है या नहीं, इसकी जानकारी प्राप्त करूंगा. मदरसा की बच्चियों व उनके अभिभावकों द्वारा उनके पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं की गयी है. ऐसी शिकायत मिलने पर मामले की जांच की जायेगी.

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