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बख्तियारपुर – राजगीर रेलखंड की चौकसी बढ़ी

बिहारशरीफ : धनबाद से पटना जा रही इंटरसिटी एक्सप्रेस पर गुरुवार को हुए नक्सली हमले के बाद रेल एसपी ने बख्तियारपुर-राजगीर रेल खंड की चौकसी बढ़ा दी गयी है. इस संबंध में बिहारशरीफ व राजगीर जीआरपीएफ को रेल खंड पर दौड़नेवाली तमाम ट्रेनों की बेहतर सुरक्षा के आदेश दिये गये हैं. हालांकि बिहारशरीफ रेल पुलिस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:49 PM

बिहारशरीफ : धनबाद से पटना जा रही इंटरसिटी एक्सप्रेस पर गुरुवार को हुए नक्सली हमले के बाद रेल एसपी ने बख्तियारपुर-राजगीर रेल खंड की चौकसी बढ़ा दी गयी है. इस संबंध में बिहारशरीफ व राजगीर जीआरपीएफ को रेल खंड पर दौड़नेवाली तमाम ट्रेनों की बेहतर सुरक्षा के आदेश दिये गये हैं.

हालांकि बिहारशरीफ रेल पुलिस के अनुसार बख्तियारपुर-राजगीर रेल खंड उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र से विमुख है. इसके बावजूद एहतियात के तौर पर सतर्क रहने की बात कही गयी है. हालांकि संबंधित रेल खंड के मुख्य रेल थाने बिहारशरीफ व राजगीर के भवन की स्थिति जर्जर स्थिति में है, जहां तक बिजली की बात है तो वह भी दयनीय है

* स्थिति संतोषजनक नहीं
45 किलोमीटर का बख्तियारपुर-राजगीर रेल खंड पर सुरक्षा को लेकर तैनात जीआरपी व आरपीएफ की स्थिति संतोषजनक नहीं होने की बात रेल थानाध्यक्षों द्वारा बतायी गयी है. अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल से जुड़ा राजगीर रेलवे स्टेशन पर पांच की संख्या में आरपीएफ जवान की नियुक्ति की गयी है.

संबंधित आरपीएफ का सीधा नियंत्रण रेल थाना पुलिस से नहीं होता है. राजगीर रेल थानाध्यक्ष धीरेंद्र देव राय बताते हैं कि राजगीर-दानापुर सवारी गाड़ी व बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस को राजगीर से पटना तक स्कॉट दिया जाता है. जबकि, शेष राजगीर से खुलनेवाली गाड़ियों का स्कॉट बख्तियारपुर तक ही सीमित है.

* वाहन की व्यवस्था नहीं
उक्त रेल खंड के थाना भवन की स्थिति काफी जर्जर है,थाना परिसर के सटे बने बैरक का हाल नारकीय है.जहां तक बिजली की बात है तो उसे भी रेल पुलिस संतोषजनक की संज्ञा दे रही है.राजगीर रेल थानाध्यक्ष ने बताया कि गश्ती के लिए वाहन की सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं है,विशेष परिस्थिति में छापेमारी के लिए दूसरे वाहन मालिकों की मदद ली जाती है.

उन्होंने बताया कि इससे संबंधित तमाम परेशानियों की जानकारी विभाग के वरीय अधिकारियों को पूर्व में मौखिक व लिखित दी जा चुकी है,बावजूद इसके इस संबंध में कोई ठोस पहल नहीं की गयी.अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए नजदीक के थानों की मदद लेनी की परंपरा आज भी कायम है.

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