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पटवन की सुविधा को तरस रहे किसान

राजगीर (नालंदा) : मोरा के किसानों ने अपनी पानी का खजाना बिहार के पहले पुलिस एकेडमी के लिए दे दिया, लेकिन उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई है. पुलिस एकेडमी का शिलान्यास 13 अगस्त, 2010 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. मुख्यमंत्री ने यहां के किसानों के लिए सड़क, नहर सहित कई अन्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:50 PM

राजगीर (नालंदा) : मोरा के किसानों ने अपनी पानी का खजाना बिहार के पहले पुलिस एकेडमी के लिए दे दिया, लेकिन उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई है. पुलिस एकेडमी का शिलान्यास 13 अगस्त, 2010 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. मुख्यमंत्री ने यहां के किसानों के लिए सड़क, नहर सहित कई अन्य योजनाओं की घोषणा की थीं. तीन साल होने को है, लेकिन अफसर इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. पुलिस एकेडमी का का निर्माण कार्य भी कछुआ की गति से जारी है.

* सीएम के फरमान बेअसर
गांव के किसानों का कहना है कि सीएम के फरमान पर अफसर भारी पड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री ने खेतों की पटवन के लिए डाकथान से पारीपर तक पइन खुदाई, अलंग निर्माण व पीटीसी के पूर्वी क्षेत्र में एक छोर से दूसरे छोर तक सड़क निर्माण करवाने का पक्का वादा गांव में खुले मंच से किया था. यहां के किसानों का पटवन का मुख्य श्रोत यह पीटीसी का स्थल हीं था, जो अब नहीं रहा.

किसानों ने बताया कि शिलान्यास के पूर्व अधिकारियों की फौज आती थी और कहा जाता था कि सिंचाई विभाग के इंजीनियर आकर नहर की पुरी खाका तैयार कर लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री के जाने के बाद किसी अधिकारी ने यहां दुबारा आकर किसानों की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी.

किसान बताते हैं कि इसी पीटीसी में छठ व्रत पर्व में लोग अघ्र्य देते थे. सिंचाई के लिए पइन की खुदाई का कार्य अब तक शुरू नहीं किया जा सका है, जिससे किसान काफी निराश हैं. अधिकारियों की इस बेरुखी से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है इस जमीन पर त्रिफलीय खेती की जाती थी.

* बंजर बनती जा रही है जमीन
ग्रामीण नौजवान किसान विजय कुमार, अनूप कुमार, अभिजीत कुमार, कमलेश प्रसाद, अरविंद कुमार सहित अन्य लोगों का कहना है कि पइन की खुदाई हो जाती तो पटवन में काफी सुविधा होती. साथ हीं खेत से कटे फसलों को ढोने में सुविधा हो जाती. बीस सूत्री अध्यक्ष जयराम सिंह ने कहा कि किसानों के पटवन का एक मात्र साधन पीटीसी हीं था. पीटीसी बन जाने से शेष बचे जमीन पटवन के अभाव में बंजर बनती जा रही है.

लोगों को खेत पटवन के लिए भगवान भरोसे रहना पड़ता है. गांव के पूर्वजों द्वारा पटवन की जो व्यवस्था बनायी गयी है उस पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है, जिससे शेष जमीन बंजर बन गया है. अगर इस अवैध कब्जा को मुक्त कराकर मात्र सफाई करा दी जाय तो शेष जमीन काफी उपजाऊ बन सकेगा और यहां के किसान खुशहाल बन जायेंगे.

* तीन साल में पूरा नहीं हुआ निमार्ण कार्य
पुलिस एकेडमी का निर्माण करीब 133 एकड़ जमीन में किया जा रहा है. शिलान्यास के दिन तत्कालीन बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के एमडी अशोक कुमार गुप्ता ने कहा था कि एकेडमी का निर्माण कार्य ढ़ाई साल में पुरा कर लिया जायेगा, लेकिन तीन साल होने को है और अब तक इसकी चहारदिवारी निर्माण का काम भी पूरा नहीं हो सका है.

ऐसे में किसानों की सारी आस की इसके निर्माण में आस-पास के किसानों के दिन बहुरेंगे टूटती नजर आ रही है. किसान चारों ओर से निराश हो गये हैं. इनकी विवशता किसी को नजर नहीं आ रही है. किसान शशि भूषण कुमार वर्मा कहा कहना है कि सीएम ने तो कहा था कि किसानों के लिए पइन की खुदाई होगी, लेकिन किसी अधिकारी ने यहां आना मुनासिब नहीं समझा. अगर पुरानी पइन को हीं यहां के खेतों को जोड़ दिया जाय तो कुछ हद तक पटवन की समस्या से निजात मिल जाये.

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