* जानलेवा साबित हो रहा फ्लोरेसिस, दिल्ली के एम्स में इलाजरत हैं ग्रामीण
* जानलेवा साबित हो रहा फ्लोरेसिस
।। प्रदीप कुमार ।।
अरियरी(शेखपुरा) : अरियरी के चोढ़ दरगार गांव में फ्लोरेसिस अब जानलेवा साबित हो रहा है. विकलांगता के शिकार हो चुके दर्जनों बच्चे और बुजुर्गो के शरीर ने अब काम करना बंद कर दिया है. 35 वर्षीय सुनील साव को दो बड़े ऑपरेशन के बाद दिल्ली एम्स में भरती कराया गया है.
चिकित्सकों ने मरीज के शरीर में लगभग 40 फीसदी अधिक फ्लोरेसिस का प्रभाव होने की बात कही है. वहीं, गांव की 32 वर्षीया उषा देवी को पटना के निजी अस्पताल में भरती कराया गया है, जबकि पति हीरा साव के दोनों हाथ और गरदन काम नहीं कर रहे हैं. परिजन उन्हें पटना ले जाने की तैयारी में हैं.
फ्लोराइड रिमुवल ट्रिटमेंट, मिनी जलापूर्ति योजना समेत अन्य जल स्नेतों से भी फ्लोराइड से दूषित पानी निकल रहा है. जानकारों की मानें, पानी में 1.2 मिग्रा फ्लोराइड की मात्र होनी चाहिए, जबकि यह मात्र 2.1 किग्रा तक पहुंच चुकी है. जल जांच में हुए इस खुलासे के बाद ग्रामीण दहशत में हैं.
* कुएं की सफाई में जुटे लोग
विशेषज्ञों की सलाह पर ग्रामीण कुएं की उड़ाही में जुट गये हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक 40 फुट से ऊपर के जल स्तर में फ्लोराइड की मात्र नहीं होती. करोड़ों की लागत से स्थापित मिनी रिमुवल प्लांट के रख-रखाव के अभाव में दूषित पानी आपूर्ति की जा रही है. इस कारण लोग अब कुएं की सफाई कर जल जांच के बाद इसके उपयोग की तैयारी में जुटे हैं.
* मुखिया भी हुए पीड़ित
चोढ़ दरगाह गांव में तीन साल पूर्व 105 फ्लोरेसिस मरीजों को चिह्न्ति किया गया था. इसके बाद इस दिशा में बड़े पैमाने पर गांवों में सैकड़ों चापाकलों में रिमुवल प्लांट लगाये गये एवं दर्जनों मिनी जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन किया गया.
लेकिन, रख-रखाव ठीक न होने से लोग आज भी फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं. फ्लोरेसिस पीड़ित मरीजों की हालत जहां बिगड़ती जा रही है, वहीं मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. चोढ़ दरगाह के मुखिया मो सरफराज ने कहा कि उनकी गरदन और हाथ में दर्द हो रहा है. उन्होंने फ्लोराइड से प्रभावित होने की बात कही है.
* गांव खाली करने की विवशता
तीन साल पूर्व जब फ्लोराइड के कहर का खुलासा हुआ था, तब जिला प्रशासन ने इससे पीड़ित सैकड़ों लोगों का उपचार कराया था तथा शुद्ध पानी उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. लेकिन, पीड़ित को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया. नतीजतन फ्लोरेसिस के कहर से विकलांग लोगों ने फ्लोराइड नामक जहर पी-पी कर अपनी जिंदगी को दावं पर लगा दी. अब ग्रामीण गांव खाली करने का मन बना रहे हैं.