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पान कृषक नालंदा में सीखेंगे नयी तकनीक

पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर में सूबे के पान कृषकों की दो दिवसीय ट्रेनिंग नौ सेबिहारशरीफ (नालंदा) : पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर में सूबे के पान कृषकों को नयी तकनीक से पान की खेती करने का गुर बताये जायेंगे. इसके लिए केंद्र में नौ एवं 10 जुलाई को पान कृषकों को ट्रेनिंग दी जायेगी. इस दो […]

पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर में सूबे के पान कृषकों की दो दिवसीय ट्रेनिंग नौ से
बिहारशरीफ (नालंदा) : पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर में सूबे के पान कृषकों को नयी तकनीक से पान की खेती करने का गुर बताये जायेंगे. इसके लिए केंद्र में नौ एवं 10 जुलाई को पान कृषकों को ट्रेनिंग दी जायेगी.

इस दो दिवसीय ट्रेनिंग में किसानों को पान की नयी तकनीक से खेती करने, स्वाचल की महत्ता, पान की फसल में लगनेवाले रोग व कीट आदि की जानकारी के साथ हीं पान के पत्ते की मार्केटिंग कैसे की जाये, इसकी जानकारी दी जायेगी. किसानों को यह भी बताया जायेगा कि मगही पान को किस तरह प्रोसेसिंग कर व बनारसी पत्ता बनाकर चार गुणा से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.

पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर के प्रभारी पदाधिकारी श्रीनाथ दास बताते हैं कि इस प्रशिक्षण में सूबे के पान उत्पादक प्रगतिशील किसान भाग लेंगे. इनमें नालंदा के अलावा नवादा, गया, औरंगाबाद, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुवनी, मुंगेर व पूर्णिमा के किसान शामिल होंगे.

किसानों का चयन बामेति, पटना द्वारा किया गया है. इस ट्रेनिंग में कृषि अनुसंधान संस्थान, पटना के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अर्जुन प्रसाद सिंह भी शरीक होंगे.

परंपरागत खेती छोड़ने पर बल

सूबे के अधिकतर पान कृषक परंपरागत तरीके से पान की खेती करते हैं. इसमें बांस के बरेठा में पान की खेती होती है और किसान कंधे पर बड़ा-सा पानी का घड़ा रख कर पान की फसल की सिंचाई करते हैं. पान कृषकों को परंपरागत पान की खेती छोड़ कर उन्हें आधुनिक तकनीक से खेती करने के गुर बताये जायेंगे. इसमें बांस की बरेठा की जगह लोहा का रॉड इस्तेमाल किया जाता है और पान की फसल की सिंचाई माइक्रो इरिगेशन सिस्टम (सूक्ष्म सिंचाई पद्धति) से की जाती है.

जैविक विधि से पत्ता तैयार

परंपरागत पान की खेती में किसान रासायनिक खाद व कीटनाशी दवाओं का प्रयोग करते हैं. इससे मानव शरीर पर तरह-तरह के दुष्प्रभाव पड़ते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिक पान उत्पादक किसानों को जैविक विधि से पान की खेती करने के गुर बतायेंगे. जैविक विधि से तैयार पान का पत्ता गुणवत्तापूर्ण एवं स्वाद में अनूठा होगा.

व्यापारी करते हैं ब्लैकमेल

अधिकतर पान के पत्ते को किसान इधर-उधर जाकर औने-पौने दाम में बेच देते हैं. बनारस में पान की मंडी होने के कारण बहुत से किसानों वहां भी पान बेचने के लिए जाते हैं. बनारस के व्यापारी पान कृषकों को काफी ब्लैकमेल करते हैं.

पान के पत्ते को निमA क्वालिटी का बता कर लेने से इनकार कर देते हैं, जिसके कारण किसानों को कम दाम पर हीं पान का पत्ता वहां बेचना पड़ता है. इन सब बातों को ध्यान में रखकर पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर के वैज्ञानिक ऐसी व्यवस्था करने में जुटे हैं कि नालंदा के पान कृषक बनारस न जायें, बल्कि बनारस के व्यापारी यहां पान खरीदने आयें.

मिट्टी जांच जरूरी

डॉ. श्री नाथ दास बताते हैं कि परंपरागत तरीके से खेती में किसान बिना मिट्टी की जांच कराये पान की खेती करते हैं. इससे किसानों को यह मालूम नहीं हो पाता है कि पौधे के लिए कौन सी खाद, कितनी मात्र में देने पर फायदेमंद साबित होगा. मिट्टी की जांच करा कर पान की खेती करने से किसानों को यह मालूम हो जाता है कि कॉन सा उर्वरक कितनी मात्र में देना जरूरी है.

खेती का हो रहा प्रत्यक्षण

पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर द्वारा नालंदा, नवादा, गया व औरंगाबाद जिलों के 15 प्रगतिशील किसानों का चयन कर पान की खेती का प्रत्यक्षण कराया जा रहा है. इसके लिए इन किसानों को सारे इनपुट दिये गये हैं. औरंगाबाद में पान की कटिंग नहीं थी, जिस पर इस्लामपुर से पान की कटिंग औरंगाबाद भेजी गयी है. इसके अलावा आत्मा, नालंदा के माध्यम से 15 से 20 की संख्या में किसानों का समूह बना कर पान की खेती करायी जा रही है.

खुलेगा प्लांट हेल्थ क्लिनिक

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ मेवालाल चौधरी ने पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर में प्लांट हेल्थ क्लिनिक खोलने का आदेश दिया है. इसके लिए राशि भी उपलब्ध करायी जा चुकी है. एक साल के अंदर प्लांट हेल्थ क्लिनिक बनकर तैयार हो जायेगा. किसानों की सेवा के लिए खोले जा रहे इस प्लांट हेल्प क्लिनिक में मिट्टी की जांच व फसल पर रोग की जांच कर झटीक दवा देने की अनुशंसा कृषि वैज्ञानिक करेंगे. इसके अलावा नेट हाउस भी बनाये जायेंगे.

मगही पान से बनारसी पत्ता

पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर में मगही पान के पत्ते की प्रोसेसिंग कर हरा पत्ता को सफेद किया जायेगा. यह सफेद पत्ता हीं बनारसी पत्ता कहलायेगा. इसके लिए केंद्र में प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं. यह प्लांट भी एक वर्ष के अंदर तैयार हो जायेगा.

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