17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बारिश हुई तो बाढ़, नहीं तो सुखाड़

किसान प्रकृति पर आश्रित खेती करने को विवश बिहारशरीफ : नालंदा जिले की मिट्टियों में उर्वरा शक्ति भरपूर मात्र में है. यहां के किसान मेहनती हैं, लेकिन सिंचाई सुविधाओं के अभाव में वे पूरी तरह प्रकृति पर आश्रित खेती करने को मजबूर हैं. जिले में नदियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन सभी नदियां बरसाती […]

किसान प्रकृति पर आश्रित खेती करने को विवश

बिहारशरीफ : नालंदा जिले की मिट्टियों में उर्वरा शक्ति भरपूर मात्र में है. यहां के किसान मेहनती हैं, लेकिन सिंचाई सुविधाओं के अभाव में वे पूरी तरह प्रकृति पर आश्रित खेती करने को मजबूर हैं. जिले में नदियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन सभी नदियां बरसाती हैं.

बरसात हुई तो इन नदियों में पानी दिखायी पड़ती है और नहीं हुई तो ये नदियां सूखी हुई केवल बालू हीं बालू दिखायी पड़ती है. नहर का घोर अभाव है. नदियां में गाद भर जाने के कारण थोड़ी सी बारिश हुई तो नदियां उफान पर रहती हैं.

किसान करें तो क्या करें किसानों द्वारा अपने दम पर सिंचाई के लिए निजी नलकूप लगाये गये हैं, लेकिन भूगर्भीय जल के खिंसते चले जाने से अधिकतर नलकूप फेल होते जा रहे हैं. सरकारी नलकूपों की स्थिति भी दयनीय है. जिले में करीब 20134 निजी नलकूप हैं, जिसमें से 7022 नलकूप बेकार हो गये हैं, जबकि 232 सरकारी नलकूपों में से मात्र 74 हीं चालू हालत में है.

इस स्थिति में जिले के किसानों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. जुलाई माह आधा बीत चुका है, लेकिन बारिश के अभाव में धान की रोपनी नहीं हुई है. अभी तक जिले में नाम मात्र की धान की रोपनी हुई है.

1.30 लाख हेक्टेयर में रोपनी

इस वर्ष जिले में एक लाख 30 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी की जानी है, जबकि एक लाख 42 हजार एकड़ में श्री विधि से धान की रोपनी का लक्ष्य है. 26 हजार एकड़ में श्री विधि का डेमॉन्सट्रेशन किया जाता है, जबकि 57 हजार एकड़ में हाइब्रिड धान की खेती श्री विधि से हीं की जानी है.

बिचड़े तैयार हैं, लेकिन बारिश के अभाव में धान की रोपनी नहीं हो पा रही है. ऐसे में अधिक उत्पादन प्राप्त होने वाले धान के बिचड़े को बचाने में किसान अपना सब कुछ झोंक रहे हैं.

उड़ रही किसानों की जमा पूंजी

बारिश होने की वजह से किसानों को धान के बिचड़े बचाने में हलकान होना पड़ रहा है. किसानों की जमा पूंजी डीजल इंजन के धुएं में उड़ रही है. उन्हें डीजल पर प्रति लीटर करीब 55 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इसके अलावा अपना डीजल इंजन हुआ तो ठीक, नहीं तो प्रति घंटा 20 रुपये अलग से देना पड़ रहा है. डीजल इंजन से पटवन करने पर किसानों को प्रति घंटा 75 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.

जुलाई में सबसे कम बारिश

इस वर्ष पिछले 10 वर्षो की तुलना में जिले में जुलाई माह में सबसे कम बारिश हुई है. पिछले वर्ष जुलाई माह में 337.44 एमएल बारिश हुई थी, लेकिन इस वर्ष जुलाई में अब तक 72.65 एमएल बारिश हीं हुई है. इससे किसानों में निराशा घर करती जा रही है. किसान सुखाड़ की आशंका से त्रस्त होने लगे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें