लंगोट चढ़ा कर मांगते हैं मन्नतें
बाबा मणिराम की समाधि पर लंगोट मेला आज से बिहारशरीफ (नालंदा) : बाबा मणिराम की समाधि पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सोमवार को आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर लंगोट मेले का शुभारंभ किया जायेगा. सूफी संत हजरत मखदुमे जहां के समकालीन बाबा मणिराम के आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हीं समाधि लेने के […]
बाबा मणिराम की समाधि पर लंगोट मेला आज से
बिहारशरीफ (नालंदा) : बाबा मणिराम की समाधि पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सोमवार को आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर लंगोट मेले का शुभारंभ किया जायेगा. सूफी संत हजरत मखदुमे जहां के समकालीन बाबा मणिराम के आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हीं समाधि लेने के कारण वर्षो से उनकी याद में मेले का आयोजन किया जाता है.
मल्ल विद्या में पारंगत बाबा मणिराम के समाधि पर लोग लंगोट चढ़ा कर मन्नतें मांगते हैं. कहते हैं कि सच्चे मन से लंगोट चढ़ा कर बाबा मणिराम की आराधना करने से लोगों की मन्नतें पूरी होती है.
बाबा मणिराम एवं हजरत मखदुमे जहां की दोस्ती एवं उनके चमत्कारिक व अलौकिक कारनामों की चर्चा को लोग आज भी याद कर हैरत में पढ़ जाते हैं. इसी तरह के एक अलौकिक घटना के बारे में चर्चा है की हजरत मखदुमे जहां एक बार अपनी चमात्कारिक शक्ति का प्रदर्शन करते हुए खानकाहे मुअज्जम से शेर पर सवार होकर अपने दोस्त बाबा मणिराम से मिलने के लिए चले.
उस बख्त बाबा मणिराम अपने अखाड़े के पास स्थित एक दीवार पर बैठ कर दातून कर रहे थे. अपने दोस्त को शेर पर सवार होकर आते देख कि उन्होंने दीवार को उनके स्वागत में आगे बढ़ने का आदेश दिया और उनके आदेश पर दीवार बढ़ते हुए बाबा मखदुम साहेब तक पहुंचा, जहां बाबा मणिराम ने अपने दोस्त को तहे दिल से स्वागत किया.
वर्षो से चली आ रही है परंपरा
बाबा मणिराम ने संत के रूप में अपने अलौकिक शक्तियों से लोगों का कल्याण किया व उन्हें ईश्वर के बताये रास्ते पर चलने को प्रेरित किया. वहीं उन्होंने अपने शिष्यों को कुश्ती कौशल में भी परंपरागत बनाने के साथ उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ाने का काम किया.
कुश्ती से विशेष लगाव के कारण हीं उनकी समाधि पर लंगोट चढ़ा कर आराधना करने की परंपरा चली आ रही है. एक सप्ताह तक लगनेवाले इस मेले में दूर–दूर से लोग लंगोट चढ़ा कर मनवांछित मुरादें मांगने के लिए यहां पहुंचते हैं.