आमदनी करोड़ों, पर सुविधा नहीं
एकंगरसराय : लंबे अरसे के बाद वर्ष 2003 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार की देखरेख में फतुहा इस्लामपुर रेलखंड पर रेलगाड़ी दौड़ी तो लोगों में काफी उम्मीद जगी थी. इस उम्मीद को तब एक और पंख लग गया, जब इस रेलखंड पर मगध एक्सप्रेस व तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद द्वारा बक्सर–इस्लामपुर व हटिया […]
एकंगरसराय : लंबे अरसे के बाद वर्ष 2003 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार की देखरेख में फतुहा इस्लामपुर रेलखंड पर रेलगाड़ी दौड़ी तो लोगों में काफी उम्मीद जगी थी. इस उम्मीद को तब एक और पंख लग गया, जब इस रेलखंड पर मगध एक्सप्रेस व तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद द्वारा बक्सर–इस्लामपुर व हटिया इस्लामपुर एक्सप्रेस चलवा कर दिल्ली, रांची दूर नहीं के कहावत को हकीकत में बदल दिया.
इसके बाद लोगों की नजर प्रस्तावित इस्लामपुर नटेश्वर रेल लाइन पर जा टिकी. लोगों को लगा कि इस रेल लाइन के चालू हो जाने से न केवल सीधे झारखंड से जुड़ जायेंगे, बल्कि पश्चिम बंगाल की राजधानी हावड़ा भी आसानी से पहुंच जायेंगे. नीतीश कुमार व लालू प्रसाद दोनों बिहार के नेता को रेलमंत्री के पद से हटते ही लोगों की सभी आशा धरी की धरी रह गयी.
तकरीबन दस वर्ष बीत चुके हैं, पर अब तक न तो प्रस्तावित इस्लामपुर नटेश्वर रेल परियोजना पूरी हुई और ना ही फतुहा–इस्लामपुर रेलखंड पर यात्री सुविधा का विस्तार ही हुआ. जबकि, आय में दिनों दिन वृद्ध ही हुई है. पहले एकंगरसराय रेलवे स्टेशन से एक वर्ष में लाख रुपये की भी आमदनी होती थी, अब करोड़ों में आमदनी हो रही है. स्टेशन से राज्य समेत अन्य राज्यों में सफर करनेवाले यात्रियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, लेकिन यात्री सुविधा की स्थिति जस की तस है.
स्टेशन परिसर में न तो शौचालय की व्यवस्था है और ना ही पेयजल की. परिसर में न तो रोशनी की मुकम्मल व्यवस्था है और ना ही यात्री शेड की. रेलवे प्लेटफॉर्म इतना नीचा है कि यात्रियों को रेल पर चढ़ने उतरने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इसके कारण दर्जनों लोगों को जान तक गंवानी पड़ गयी है. स्टेशन परिसर में शौचालय की व्यवस्था नहीं रहने के कारण खास कर महिला यात्रियों को शौच क्रिया के लिए इधर–उधर भटकना पड़ता है. पेयजल के लिए दुकान या फिर किसी होटल का सहारा लेना पड़ता है. प्यास मिटाने के लिए किसी चाय दुकान में चाय या फिर नाश्ता करना पड़ता है.
स्टेशन परिसर में पूर्व में गाड़े गये चापाकल खराब पड़ी हुई है. प्लेटफॉर्म पर गाड़े हुए सभी पोलों पर बल्ब तो लटके हुए हैं, पर एक भी बल्ब रात्रि में नहीं जलते हैं, सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर लोगों को चिढ़ा रही है. शाम ढलते ही परिसर में सन्नाटा पसर जाता है. यहां अंधेरे का फायदा उठा कर महिला यात्रियों के साथ छेड़छाड़ करना, बैग व थैली को चकमा देकर उड़ा ले जाना आदि मामले प्रकाश में आते रहते हैं.
रेलवे परिसर में दर्जनों गुमटी, चाय–नास्ते की दुकान खोल कर कब्जा जमाये हुए हैं. एक जीर्ण–शीर्ण यात्री शेड बना हुआ है, जिसमें 24 घंटे पियक्कड़ों व गंजेड़ियों का अड्डा बना हुआ है तथा गंदगी का अंबार लगा हुआ रहता है, जिससे यात्री वहां बैठने की बात तो दूर है, उस जगह से आने–जाने वाले लोग मुंह एवं नाक पर कपड़े रख कर पार करने में ही अपनी भलाई समझते हैं.
* हाल एकंगरसराय रेलवे स्टेशन का
* स्टेशन पर शौचालय पेयजल, रोशनी, यात्रियों के ठहरने आदि की सुविधा नहीं
* महिला यात्रियों को शौच के लिए इधर–उधर भटकना पड़ता है