माप-तौल विभाग का शोर बाट पर नहीं तराजू का जोर
बिहारशरीफ (बिहारशरीफ) : बड़ी विचित्र विडंबना है.चाह कर भी ग्राहक सही तौल की वस्तु से दूर हैं. डंडी को झुका कर ग्राहक को नकली खुशी देनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है. मापतौल विभाग चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहा है. हालांकि विभाग अपनी कोशिश जारी रखने का राग अलापने से बाज नहीं […]
बिहारशरीफ (बिहारशरीफ) : बड़ी विचित्र विडंबना है.चाह कर भी ग्राहक सही तौल की वस्तु से दूर हैं. डंडी को झुका कर ग्राहक को नकली खुशी देनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है. मापतौल विभाग चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहा है.
हालांकि विभाग अपनी कोशिश जारी रखने का राग अलापने से बाज नहीं आ रहा है.मापतौल विभाग से मिले आंकड़े बताते हैं कि शहर के मछली मार्केट में मात्र 12 निबंधित बाट व तराजू हैं,जबकि यह देखने की बात है कि मछली बाजार में दर्जनों बाट व तराजू प्रतिदिन ग्राहकों को तराजू का डंडी झुका कर उन्हें नकली खुशी प्रदान करते रहते हैं.
पिछले वर्ष मापतौल विभाग द्वारा शहर के मछली मार्केट व बाजार समिति के समीप तीन बार शिविर लगा कर मछली विक्रेताओं को अपने–अपने बाट व तराजू को निबंधित कराने की अपील की गयी थी,हालांकि ऐसा नहीं हो सका.मापतौल इंस्पेक्टर राजेश कुमार बताते हैं कि कई बार विभागीय स्तर से संबंधित मछली विक्रेताओं के बाट व तराजू की जांच को लेकर औचक निरीक्षण किया गया,निरीक्षण दल को देखते हीं संबंधित विक्रेता अपने बाट को नाली में फेंक दिया करते हैं.
पिछले वर्ष के अनुसार बिहारशरीफ अनुमंडल में कुल निबंधित बाट तराजू व्यवसायियों की कुल संख्या 2363 है.आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष मापतौल विभाग ने 657761 रुपये की वसूली की थी.यूं तो सरकार के राजस्व को बढ़ाने को लेकर विभागीय स्तर से मेहनत कम नहीं की जाती,वहीं तौल में डंडी मारनेवाले इनकी मेहनत पर पानी फेरने से बाज नहीं आ रहे हैं.