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मनरेगा में गड़बड़ी

बरखास्तगी के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति बिहारशरीफ : केंद्र प्रायोजित मनरेगा मजदूरों के पलायन रोकने एवं उन्हें गांव में हीं रोजगार दिलाने के उद्देश्य से लागू एक महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना को ग्रामीणों क्षेत्रों के सम्यक विकास की परिकल्पना के साथ लागू किया गया था, परंतु योजना संबंधित अधिकारी,कर्मी व पंचायत प्रतिनिधियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2013 4:36 AM

बरखास्तगी के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति

बिहारशरीफ : केंद्र प्रायोजित मनरेगा मजदूरों के पलायन रोकने एवं उन्हें गांव में हीं रोजगार दिलाने के उद्देश्य से लागू एक महत्वपूर्ण योजना है.

इस योजना को ग्रामीणों क्षेत्रों के सम्यक विकास की परिकल्पना के साथ लागू किया गया था, परंतु योजना संबंधित अधिकारी,कर्मी पंचायत प्रतिनिधियों के लिए चारागाह बन कर रह गयी है. इसके क्रियान्वयन में सुधार के लिए समयसमय पर नियमों के बदलाव एवं दोषी पर कार्रवाई भी मनरेगा में लूटखसोट को रोकने में विफल साबित हुई है.

अब तक इस योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता की शिकायत की जांच के बाद 120 से अधिक लोगों से कारण पृच्छा की मांग की गयी.वित्तीय अनियमितता पाये जाने के बाद कई मुखिया,पंचायत रोजगार सेवक प्रोग्राम ऑफिसर एवं तकनीकी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी की गयी है.

इस दौरान पांच प्रोग्राम पदाधिकारी सहित करीब तीन दर्जन मनरेगा कर्मियों को बरखास्त किया गया है.करायपरशुराय प्रखंड में मुखिया पंचायत रोजगार सेवक पर प्राथमिकी दर्ज करने के साथ एकंगरसराय प्रखंड मेंअमनार खास के पंचायत रोजगार सेवक से पंद्रह हजार रुपये की वसूली भी की गयी.

बावजूद इसके मनरेगा में गड़बड़ी लूटखसोट पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया जा सका है.वेन प्रखंड के नोहसा बारा एकसारा पंचायत में डीएम के आदेश पर जांच में मनरेगा के क्रियान्वयन में करोड़ों रुपये के गबन का मामला प्रकाश में आने के बाद लोग हैरत में हैं.

एक हीं पीआरएस द्वारा तीनों पंचायतों में एक साथ इतनी बड़ी राशि का घपला किये जाने में कहीं कहीं संबंधित मुखिया पीओ की संलिप्तता एवं वरीय अधिकारियों की अनदेखी की ओर इशारा करता है.

पांच वर्षो तक पीआर एस द्वारा लगातार गबन किया जाता रहा और इस तरफ पहले किसी वरीय अधिकारियों का ध्यान इसकी ओर नहीं जाना यह स्पष्ट संकेत देता है कि मनरेगा की निगरानी की व्यवस्था में भारी कमी है.इस घटना से यह भी जाहिर है कि अगर जिले के सभी पंचायतों में मनरेगा की गंभीरता से जांच की जाये, तो इसमें दर्जनों मुखिया मनरेगाकर्मी सलाखों के पीछे होंगे.

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