नौजवानों पर राज्य के निर्माण का दारोमदार
* बिना खेती के नालंदा की महिला किसान बनायेंगी उत्पादन का रिकॉर्ड बिहारशरीफ/राजगीर (नालंदा) : राजगीर के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेति), पटना और आत्मा, नालंदा के द्वारा ‘मशरूम उत्पादन, परिसंरक्षण, गुणवत्ता संवर्धन, पैकेजिंग एवं विपणन आवश्यकताएं व संभावनाएं’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. दो […]
* बिना खेती के नालंदा की महिला किसान बनायेंगी उत्पादन का रिकॉर्ड
बिहारशरीफ/राजगीर (नालंदा) : राजगीर के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेति), पटना और आत्मा, नालंदा के द्वारा ‘मशरूम उत्पादन, परिसंरक्षण, गुणवत्ता संवर्धन, पैकेजिंग एवं विपणन आवश्यकताएं व संभावनाएं’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. दो दिनों तक चलने वाले इस सेमिनार में देश के अनेक ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक किसानों की समस्याओं से रू-ब-रू हुए. साथ हीं उन्हें मशरूम उत्पादन के हर पहलू से परिचित कराया.
इस सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक कुमार चौहान ने कहा कि बिहार के नौजवानों पर राज्य के निर्माण का दारोमदार है. उन्हें पूरा यकीन है कि सूबे के नौजवान इस कसौटी पर खरे उतरेंगे. श्री चौहान ने कहा कि बिहार के बदलाव में युवाओं की भूमिका पहले के मुकाबले और बड़ी होगी.
श्री चौहान ने कहा कि बिहार की जनता क्रांति करने की आदी हो गयी है. एक बार फिर यहां की जनता खेती में क्रांति करनेवाली है. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी नालंदा के किसानों ने श्री विधि से धान की खेती कर रिकॉर्ड उत्पादन कर दुनिया को चौंका दिया है. इस बार बिना खेत की खेती कर यहां की जनता कमला करने जा रही है. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन में बिहार की ख्याति दूर-दूर तक फैली है, लेकिन विपणन और परिसंरक्षण की जानकारी के अभाव में यहां के किसान को उनके उत्पाद की सही कीमत नहीं मिल पा रही है.
उन्होंने बताया कि इस सेमिनार के जरिये किसानों को उनकी समस्याओं का समाधान मिल पायेगा. उन्होंने नालंदा के महिला मशरूम उत्पादकों को इस क्षेत्र में उनके प्रयासों को सराहा और उन्हें बधाई दी. कृषि सचिव बिहार, विवेक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के किसानों की मदद के लिए कृषि विभाग हमेशा तत्पर है.
विभाग द्वारा मशरूम उत्पादन के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है. इसके अलावा किसानों को समय-समय पर आत्मा और बामेति द्वारा ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि विभाग की कोशिश है कि ग्रामीणों की आय और उनमें रोजगार के साधन बढ़ाया जाय और मशरूम उत्पादन और विपणन पर आयोजित ये सेमिनार इस दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम है.
किसानों का स्वागत करते हुए उद्यान निदेशक अजय कुमार यादव ने कहा कि मौजूदा माहौल में सबके लिए नौकरी मिल पाना संभव नहीं है. मशरूम उत्पादन स्वरोजगार का एक जरिया है. इससे किसान कम लागत में अधिक आमदनी कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं और वे किसानों की हरसंभव मदद करेंगे.
मंच का संचालन करते हुए निदेशक बामेति, डॉ आरएन सिंह ने कहा कि मशरूम उत्पादन से आय के साथ-साथ ग्रामीण समस्याओं का भी निदान पाया जा सकता है. उनका मानना है कि मशरूम उत्पादन ग्रामीण महिलाओं के लिए बेहतर व्यवसाय साबित हो सकता है. इस सेमिनार में राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. दयाराम, जेके सिंह, डीके सिंह, सोलन के विकास बेनल, डॉ. श्वेत कमल, डॉ. सतीश कुमार एवं डॉ. वीपी शर्मा के अलावे नाबार्ड के अशोक कुमार और जोरहट से डॉ वारदोलाई ने किसानों को मशरूम उत्पादन में बारे में बताया.
* मधुमक्खीपालन करने से आर्थिक स्थिति सुधरेगी
बिहारशरीफ (नालंदा) : कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत में सिलाव प्रखंड के सारिलचक गांव की मशरूम उत्पादक महिला किसानों के सात दिवसीय मधुमक्खीपालन प्रशिक्षण का उद्घाटन सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार द्वारा किया गया. प्रशिक्षण के लिए महिलाओं का चयन कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत द्वारा किया गया है.
श्रवण कुमार ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत के कार्यक्रम समन्वय डॉ संजीव कुमार द्वारा कृषकों के हित में विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जो प्रशंसनीय है. उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाली महिलाओं से कहा कि आप लोग गरमा सब्जी उत्पादन के साथ-साथ मधुमक्खीपालन कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकती हैं. इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा होता है.
मधुमक्खीपालन करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. उन्होंने केवीके हरनौत द्वारा आयोजित किये जा रहे किसान चौपाल कार्यक्रम की भी सराहना की. केंद्र की वैज्ञानिक संगीता कुमारी द्वारा महिलाओं को सब्जियों के परिसंरक्षण व प्रसंस्करण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही. कार्यक्रम में बैगन की खेती को बढ़ावा देने के लिए अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण के तहत संकर प्रभेद पीएच-6 के लिए सारिलचक के किसानों का चयन किया गया.
किसानों को मुख्य सचेतक द्वारा बीज का वितरण भी किया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में केवीके के वैज्ञानिक डॉ उमेश नारायण उमेश, डॉ एनके सिंह, डॉ बीके सिंह, संगीता कुमारी व डॉ आनंद कुमार आदि मौजूद थे. इधर, कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत में ही तीन दिवसीय गरमा सब्जी का प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ संजीव कुमार द्वारा सारिलचक की महिलाओं का चयन किया गया है.
प्रशिक्षण में गरमा सब्जी की खेती के विभिन्न तकनीकी पहलुओं की जानकारी केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीके सिंह, डॉ एनके सिंह, डॉ उमेश नारायण उमेश, डॉ आनंद कुमार व डॉ संगीता कुमारी द्वारा दी गयी. प्रशिक्षण का शुभारंभ केंद्र के समन्वयक डॉ संजीव कुमार द्वारा किया गया. उन्होंने कहा कि गरमा सब्जी के उत्पादन पर जोर इसलिए दिया जा रहा है.
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ एनके सिंह द्वारा गरमा सब्जी में लगनेवाले रोग व कीट-व्याधि प्रबंधन की जानकारी दी गयी. केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीके सिंह द्वारा सब्जी की शस्य प्रक्रिया की जानकारी दी गयी. वैज्ञानिक डॉ आनंद कुमार ने गरमा सब्जी के बीज उत्पादन के बारे में महिला कृषकों को बताया.