* बारिश के अभाव में सूख रहे हैं धान के बिचड़े, सुखाड़ की आशंका तेज
।। अरुण कुमार ।।
बिहारशरीफ (नालंदा) : सावन मास बारिश के लिए जाना जाता है, लेकिन सावन माह में कड़कड़ाती धूप व गरमी से लोग बेहाल है. पानी से लबालब रहनेवाली बरसाती नदियां सूखी पड़ी हैं. खेतों में पड़ी दरारें बारिश के अभाव में दिनों दिन चौड़ी होती जा रही है. किसान हैरान-परेशान है. धान के बिचड़े सूखने लगे हैं.
लंबी अवधिवाले धान के बिचड़े का समय निकल गया है और अब माध्यम अवधि व कम अवधि वालेधान के बिचड़े की रोपनी का समय निकलता जा रहा है. किसानों में सुखाड़ की आशंका घर करने लगी है. सुखाड़ की बात मन में आने पर किसानों का हाथ-पैर फूलने लगा है. किसानों की जमा पूंजी धान के बिचड़े बचाने में डीजल इंजन के धुएं में उड़ गयी है. अगर बारिश नहीं हुई तो किसान भूखे मर जायेंगे.
* अधिकांश सरकारी नलकूप बेकार
खेतों की सिंचाई के लिए जिले में 232 राजकीय नलकूप लगाये गये थे. इन राजगीर नलकूपों में दो तिहाई खराब पड़े हुए हैं. मात्र 74 नलकूप चालू हालत में हैं. दिनों-दिन इन सरकारी नलकूपों की स्थिति खराब होती जा रही है, जो नलकूप चालू हालत में है, वह भी बिजली के अभाव में बंद पड़ी रहती है.
* मालिसाढ़ नहर में पानी नहीं
जिले में नदियों की कमी नहीं है, लेकिन सभी नदियां बरसाती हैं. बारिश हुई, तो नदी पानी से लबालब और नहीं हुई तो बालू ही बालू. जिले में नहर का का घोर अभाव है. यहां एक ही नहर है मालिसाढ़ नहर. यह नहर पैमार नदी से निकला है. बारिश नहीं होने से इस नहर में भी पानी नहीं है. इस नहर से सिलाव, इस्लामपुर, वेन व परबलपुर प्रखंड के दर्जनों गांवों के किसान लाभांवित होते थे. इनमें सकरी, सिढ़ारी, सरिफाबाद, लारनपुर, आत्मा, बरगावां, हरसेनी, हरवंश विगहा, वभिक्षण विगहा, पचलोवा, अकबरपुर, कोइलिया, लोदीपुर आदि गांव के किसान लाभांवित होते थे.
* 7022 निजी नलकूप बेकार
जिले में 27492 निजी नलकूप हैं. इनमें से 7022 निजी नलकूप बेकार हो चुके हैं. बारिश न होने व भू-गर्भीय जल स्तर के दिनों-दिन गिरते जाने से निजी नलकूप बेकार होते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में बारिश नहीं होने पर किसानों को अपने धान के बिचड़े बचाने में परेशानी हो रही है. बारिश नहीं होने और सिंचाई के अभाव में धान के बिचड़े सूखते जा रहे हैं.
* फसल पर रोग का प्रकोप
बारिश नहीं होने से फसल पर रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. हरदा रोग, गलका रोग, पत्ती पीला होना, ब्लास्ट रोग, भनभनिया रोग से किसान परेशान हैं. कृषि वैज्ञानिक एनके सिंह ने इन रोगों से फसल को बचाने के लिए नीम का तेल एक लीटर पानी में चार एमएल डाल कर छिड़काव करने की सलाह दी है.
* प्रति घंटा 80 रुपये फूंक रहे किसान
बारिश के अभाव में किसानों को डीजल इंजन से धान के बिचड़े को बचाने के लिए विवश होना पड़ रहा है. किसानों को डीजल इंजन से खेत की पटवन पर प्रति घंटे 80 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. जिन किसानों के पास अपना डीजल इंजन है तो उन्हें केवल डीजल पर खर्च करना पड़ रहा है, लेकिन जिन किसानों के पास डीजल इंजन नहीं है, उन्हें किराये पर पटवन करना पड़ रहा है.
किराये पर पटवन करने के लिए 25 रुपये प्रति घंटा इंजन का किराया देना पड़ता है. इसके बाद एक घंटा के लिए एक लीटर डीजल भी देना पड़ता है. एक घंटा में डीजल इंजन से अधिक से अधिक तीन कट्ठा खेत की पटवन होती है.
* सुखाड़ की आशंका से कृषि विभाग भी चिंतित है. बारिश न होने की स्थिति में किसानों के लिए वैकल्पिक फसल की व्यवस्था की जा रही है. विभाग द्वारा मक्का के बीज बांटे जा रहे हैं. इसके अलावा मुख्यालय को तोड़ी के बीज भेजने का प्रस्ताव भेजा गया है. 05 अगस्त तक बारिश हो जाती है तब कम अवधि वाले धान के बिचड़े काम आ सकेंगे. इसको देखते हुए मुख्यालय कम अवधि वाले धान के बिचड़े उपलब्ध कराने की बात कही गयी है.
एसके जयपुरियार, जिला कृषि पदाधिकारी, नालंदा