सिखाये जा रहे हैं जीने के तरीके
बिहारशरीफ(नालंदा) : समाज के उत्थान में सकारात्मक सोच का होना अत्यंत आवश्यक है. कुछ ऐसी ही तसवीर इन दिनों बिहारशरीफ मंडल कारा की बनी है. बंदियों को सामाजिक गुणों की कला व इसके तौर तरीकों का ज्ञान देने में जेल प्रशासन काफी मेहनत कर रहा है. निरक्षर बंदियों को साक्षर कर उन्हें जीने के तरीके […]
बिहारशरीफ(नालंदा) : समाज के उत्थान में सकारात्मक सोच का होना अत्यंत आवश्यक है. कुछ ऐसी ही तसवीर इन दिनों बिहारशरीफ मंडल कारा की बनी है. बंदियों को सामाजिक गुणों की कला व इसके तौर तरीकों का ज्ञान देने में जेल प्रशासन काफी मेहनत कर रहा है.
निरक्षर बंदियों को साक्षर कर उन्हें जीने के तरीके सिखायें जा रहे हैं. इसके अलावा तन को स्वस्थ रखने की कला के साथ–साथ ज्ञान की पूर्ण परिभाषा सिखाने को लेकर पुस्तकालय की भी व्यवस्था जेल प्रशासन द्वारा की गयी है. मनोरंजन को लेकर म्यूजिक के धुन भी बंदियों को सुनाये जाते हैं.
जानकारी के अनुसार फिलवक्त बिहारशरीफ मंडल कारा में कुल बंदियों की संख्या 422 है. इसमें पुरुष बंदियों की संख्या 409 एवं महिला बंदियों की संख्या 19 है. चार मासूम भी अपनी मां के साथ मंडल कारा में हैं. मां के साथ रहनेवाले बच्चों के दूध व अन्य खाने के सामान जेल प्रशासन मुहैया करता है.
मंडल कारा में साक्षरता को बढ़ावा देने को लेकर साक्षरता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस साक्षरता अभियान में निरक्षर बंदियों को शिक्षित करने का प्रावधान है. इसके लिए सरकारी स्तर से संबंधित बंदियों को किताब व कॉपी भी उपलब्ध कराये जाते हैं. साक्षरता अभियान की सफलता को लेकर कारा प्रशासन उन बंदियों का चयन करता है,जो शिक्षित होने के प्रति लालायित रहते हैं.
शिक्षित होने के बाद उनसे होने वाले फायदों की जानकारी भी कारा प्रशासन अपने बंदियों को बताता है. सहायक अधीक्षक सुदर्शन प्रसाद सिंह ने बताया कि जेल में चल रही तमाम तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने को लेकर वरीय अधिकारियों का मार्गदर्शन लिया जाता है. फिलवक्त सरकार का यह प्रयास है कि जेल से बाहर निकलने के बाद बंदी मुख्य धारा से जुड़ कर समाज व देश की प्रति सकारात्मक सोच रखें.ऐसी सोच के लिए साक्षर होना अति आवश्यक है. श्री सिंह ने बताया कि मंडल कारा में स्थित पुस्तकालय में रखी पुस्तकें बंदियों के मार्गदर्शन का सच्चा मित्र साबित हुआ है.