अल्प अवधिवाली किस्में लगाएं
बिहारशरीफ : आत्मा के सभागार में जिले के सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों एवं किसान सलाहकारों की गुरुवार को बैठक हुई. इसमें जिला कृषि पदाधिकारी एसके जयपुरियार ने सभी बीएओ एवं किसान सलाहकारों को अल्पवृष्टि की स्थिति में खरीफ फसल को बचाने एवं वैकल्पिक फसल लगाने के लिए जरूरी सुझाव दिये. उन्होंने कहा कि मॉनसून की […]
बिहारशरीफ : आत्मा के सभागार में जिले के सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों एवं किसान सलाहकारों की गुरुवार को बैठक हुई. इसमें जिला कृषि पदाधिकारी एसके जयपुरियार ने सभी बीएओ एवं किसान सलाहकारों को अल्पवृष्टि की स्थिति में खरीफ फसल को बचाने एवं वैकल्पिक फसल लगाने के लिए जरूरी सुझाव दिये.
उन्होंने कहा कि मॉनसून की दगाबाजी को देखते हुए किसानों को अल्प अवधिवाले धान के किस्में श्री विधि से लगाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि धान के मध्यम अवधिवाले किस्मों के बिचड़े को जीवन रक्षक सिंचाई देकर बचाया जाना चाहिए और जल की उपलब्धता पर किसान रोपनी का कार्य करें.
धान की लंबी अवधिवाले किस्मों के 50-60 दिन के बिचड़ा की रोपनी कम दूरी तथा एक स्थान पर 5-7 लगाये. धान की रोपनी जहां हो चुकी है वहां निकौनी एवं सिंचाई कार्य जारी रखना जरूरी है.
वैकल्पिक फसल
जिला कृषि पदाधिकारी ने मॉनसून को देखते हुए बीएओ एवं किसान सलाहकारों को वैकल्पिक फसल लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बोयी गयी मक्के की फसल जो कि पुष्पण की अवस्था में है या भुट्टे बन रहे हैं.
उसकी कम–से–कम एक सिंचाई तत्काल किया जाना जरूरी है. श्री जयपुरियार ने कहा कि मक्का का संकुल किस्म जैसे देवकी, लक्ष्मी, सुभान आदि की बोआई किया जाना किसानों के लिए फायदेमंद है. मक्का के इन किस्मों में मौसम के प्रतिकूल प्रभाव को सहने की क्षमता अधिक है. खास कर ऊंची भूमि के लिए मक्का के ये किस्म श्रेष्ठ विकल्प है.
जिला कृषि पदाधिकारी ने बीएओ एवं किसान सलाहकारों को उरद एवं कुलथी की बुआई करने के लिए किसानों को प्रेरित करने का निर्देश दिया. इसके अलावा तिल की बोआई करने तथा खेत खाली रहने पर तोरिया की खेती सितंबर माह में करने की सलाह किसानों को दी. पशुओं के चारा के लिए ज्वार बाजरा व मक्का की खेती करने की सलाह दी.
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि मॉनसून को देखते हुए बीज की उपलब्धता के अनुसार मड़ुआ की खेती भी की जा सकती है. इसके अलावा किसान विभिन्न प्रकार की सब्जी जैसे भिंडी, मूली, साग, अगात फूलगोभी, बैंगन, टमाटर, मिर्च, कद्दू आदि की खेती की जा सकती है. बीज की उपलब्धता पर किसान सोयाबीन की खेती भी की जा सकती है.
डीजल अनुदान में पारदर्शिता
जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी बीएओ व किसान सलाहकारों को बैठक में जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा अल्प वृष्टि को देखते हुए किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान की राशि जिले को प्राप्त हुई है. उन्होंने बताया कि धान का बीज गिराने, जमे हुए बिचड़े को बचाने को दो सिंचाई के लिए 25 रुपये प्रति लीटर की दर से प्रति एकड़ 500 रुपये किसानों को अनुदान दिया जाना है.
धान की रोपनी एवं धान की खड़ी फसल को बचाने के लिए 3 सिंचाई के लिए 750 रुपये प्रति एकड़ डीजल अनुदान किसान को दिया जायेगा. मक्का की बुआई एवं मक्का की खड़ी फसल को बचाने को तीन सिंचाई के लिए 750 रुपये प्रति एकड़ की दर से डीजल अनुदान किसानों को दिया जाना है.
उन्होंने बताया कि दलहनी एवं तेलहनी फसलों के बीज के लिए किसानों को 20 रुपये प्रति किलो अनुदान कृषि विभाग द्वारा दिया जा रहा है. किसानों को अपनी समस्याओं के निदान या सुझाव के लिए नियंत्रण कक्ष, किसान सलाहकार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.