* दो यूनिटों में होने लगी पान की प्रोसेसिंग
।। अरुण कुमार ।।
बिहारशरीफ : 1978 में प्रदर्शित हिंदी फिल्म ‘डॉन’ का एक गाना जिसे अमिताभ बच्चन ने बड़े अनोखे अंदाज में गाया था– ‘‘खाइके पान बनारस वाला, खुल जाये बंद अकल का ताला’’. इस गाने ने काफी प्रसिद्धि पायी थी, उस वक्त हर लोगों की जुबान पर यह गाना होता था.
गाने में बनारसी पान की महत्ता का उल्लेख किया गया था, लेकिन बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि बनारसी पान कोई पान की वेराइटी नहीं है. मगही पान को हीं प्रोसेसिंग कर सफेद–पीला पान का पत्ता तैयार होता है, इसे हीं लोग बनारसी पान के नाम से जानते हैं. उस वक्त पान के पत्ते की प्रोसेसिंग की सुविधा बनारस व लखनऊ में थी. बिहार समेत दूसरे प्रदेशों के पान उत्पादक पान के पत्ते की प्रोसेसिंग कराने के लिए बनारस व लखनऊ जाते थे.
बनारस व लखनऊ राजा–महाराजाओं का शहर था. वहां पान के पत्ते की खपत अधिक थी. बिहार के मगही पान को प्रोसेसिंग कर उसे बनारसी पत्ते या पान का नाम दे दिया गया. कहा जाता है कि राजा–महाराजा व शादी करनेवाले वर–वधू बनारसी पान खाते थे. इस पान के खाने से एक सप्ताह मुंह धम–धम करता था. इस बनारसी पान में सोने–चांदी के भस्म, कस्तूरी, केसर, उम्दा किस्म की कत्था, कसैली, गुलकंद डाले जाते थे. इस बनारसी पान का लुत्फ अब सूबे के लोग भी उठा सकेंगे.
* अनुसंधान केंद्र के दो यूनिट चालू
पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर में मगही पत्ते को प्रोसेसिंग करने के लिए दो यूनिट बनायी गयी है. इन दोनों यूनिटों में पान की पत्ते की प्रोसेसिंग का कार्य वैज्ञानिकों द्वारा शुरू कर दिया गया है.
इस प्रोसेसिंग यूनिट के चालू होने से पान उत्पादक किसानों को पान की प्रोसेसिंग के लिए बनारस व लखनऊ जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनका मुनाफा तीन से चार गुना अधिक होगा. जो भी किसान पान के पत्ते की बिक्री करते हैं, वे प्रोसेसिंग कराकर पान के पत्ते को बेचेंगे तो अच्छा मुनाफा होगा.
* 10-15 किसानों का ग्रुप बना कर पान की पत्ते की प्रोसेसिंग करने पर प्रोसेसिंग कॉस्ट काफी कम पड़ेगा और पान के पत्ते में मुनाफा तीन से चार गुना अधिक हो सकता है. क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अर्जुन प्रसाद सिंह के मार्गदर्शन में पान अनुसंधान केंद्र में पान की प्रोसेसिंग यूनिट अच्छी तरह से कार्य कर रही है.एसएन दास,कार्यक्रम समन्वयक, पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर