जांच के लिए बैंक को भेजा नोटिस
बिहारशरीफ: नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की भूमि के मालिकाना हक के लिए लगभग सौ साल बाद नये दावेदार के अचानक प्रकट होने से पूरे सहकारिता विभाग में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सदर अंचल कार्यालय स्थित आरटीपीएस काउंटर द्वारा उक्त भूमि के दाखिल-खारिज के लिए संजय कुमार नामक आवेदक द्वारा आवेदन जमा कराय […]
बिहारशरीफ: नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की भूमि के मालिकाना हक के लिए लगभग सौ साल बाद नये दावेदार के अचानक प्रकट होने से पूरे सहकारिता विभाग में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सदर अंचल कार्यालय स्थित आरटीपीएस काउंटर द्वारा उक्त भूमि के दाखिल-खारिज के लिए संजय कुमार नामक आवेदक द्वारा आवेदन जमा कराय गया है. आवेदक का कहना है कि उक्त भूमि को उनके पूर्वजों द्वारा बैंक को गोदाम के लिए किराये पर दिया गया था. अपने पक्ष की मजबूती के लिए आवेदक द्वारा डीसीएलआर कोर्ट के फैसले की कॉपी भी संलग्न की गयी है. इस संबंध में अंचलाधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि आवेदक की सत्यता के लिए जांच के लिए बैंक को नोटिस देकर आवश्यक कागजातों की मांग की गयी है. विदित हो कि उक्त स्थल पर नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लगभग नौ दशक से स्थापित है. वर्तमान भवन में बैंक का उद्घाटन 1925 में बिहार-उड़ीसा के तात्कालिक गर्वनर सर हेनरी हवीलर द्वारा किया गया था. बैंक के द्वारा 1986 में हीरक जयंती भी मनायी गयी है, जिसका उद्घाटन तात्कालिक मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे द्वारा किया गया था. अब अचानक उक्त भूमि के नये दावेदार के प्रकट होने से विभाग के पास एक नयी समस्या खड़ी हो गयी है. इस संबंध में नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सह अस्थावां विधायक डॉ जितेंद्र कुमार ने बताया कि यह सरकारी जमीन को हड़पने की भू-माफियाओं की एक साजिश है. उसे कभी भी पूरा होने नहीं दिया जायेगा. उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा कि आज के पूर्व में दावेदार कहां सोये थे? जब इसी भूमि का एक हिस्सा तात्कालिक अवैतनिक मंत्री अयोध्या प्रसाद द्वारा गर्ल्स हाइस्कूल को भी दिया गया था. उस समय भी कोई दावेदार प्रकट नहीं हुआ. अध्यक्ष डॉ कुमार ने कहा कि यह किसानों तथा पैक्सों की संस्था है. भू-माफियाओं को अपने गलत मकसद में कभी कामयाब होने नहीं दिया जायेगा.