वर्धमान मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर मंडराया खतरा
जनवरी में पहुंची एमसीआइ टीम को मिली थीं खामियां वर्धमान मेडिकल कॉलेज, पावापुरी की मान्यता पर फिर एक बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जनवरी माह में इस कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंची एमसीआइ की दो सदस्यीय टीम यहां उपलब्ध संसाधनों से काफी असंतुष्ट दिखी थी.दिल्ली में भी स्वास्थ्य मंत्रलय की गुरुवार को हुई […]
जनवरी में पहुंची एमसीआइ टीम को मिली थीं खामियां
वर्धमान मेडिकल कॉलेज, पावापुरी की मान्यता पर फिर एक बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जनवरी माह में इस कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंची एमसीआइ की दो सदस्यीय टीम यहां उपलब्ध संसाधनों से काफी असंतुष्ट दिखी थी.दिल्ली में भी स्वास्थ्य मंत्रलय की गुरुवार को हुई अवर सचिव स्तर के पांच सदस्यीय कमेटी भी इस कॉलेज की कई खामियों से असंतुष्ट दिखी.
हालांकि कॉलेज प्राचार्य डॉ जेके दास ने अधिकांश खामियों को दूर कर लेने से संबंधित एक रिपोर्ट कमेटी को उपलब्ध करा दी है. ऐसे में यह सवाल अब बड़ा दिख रहा है कि क्या इस कॉलेज का दुबारा निरीक्षण करने पहुंची एमसीआइ की टीम अगले सत्र की एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए इस कॉलेज को मान्यता दे पायेगी या नहीं ?
बिहारशरीफ. वर्धमान मेडिकल कॉलेज, पावापुरी की मान्यता पर एक बार फिर खतरा मंडरा गया है. अगर ऐसा तो इस कॉलेज में वर्ष 2015 – 16 सत्र के लिए एमबीबीएस कोर्स के विद्यार्थियों का नामांकन नहीं हो सकेगा. बताते चलें कि चालू वर्ष के जनवरी माह में इस कॉलेज में पहुंची एमसीआइ की दो सदस्यीय टीम यहां उपलब्ध संसाधनों से तब संतुष्ट नहीं दिखी थी.
टीम ने निरीक्षण के दौरान मिली खामियों को गिनाते हुए 31 मार्च तक हर हाल में पूरा कर लेने को कहा था. हालांकि अब यह तारीख भी गुजर चुकी है. दूसरी ओर इस कॉलेज में आज भी कई संसाधनों सहित मैन पावर का घोर अभाव देखा जा रहा है. इधर, गुरूवार को नई दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रलय के अवर सचिव स्तर के पांच सदस्यीय कमेटी के समक्ष इस कॉलेज के प्राचार्य डा. जेके दास ने अपने पक्ष रखे थे. लेकिन इससे कमेटी असंतुष्ट दिखी. ऐसी स्थिति में इस वर्धमान मेडिकल कॉलेज का एमसीआइ टीम दुबारा निरीक्षण करेगी.
टीचिंग स्टाफ की कमी
कॉलेज में छात्र – छात्राओं को पढ़ाने के लिए टीचिंग स्टाफ की कमी है. सूत्रों की मानें तो यहां 35 से 40 शिक्षकों की जरूरत है. कॉलेज में क्लिनिकल सब्जेक्ट जैसे मेडीसिन, सर्जरी, ऑर्थो, आई, स्कीन, इएनटी आदि में शिक्षकों की कमी है.
नहीं शुरू हुआ लैब क्लास
एमबीबीएस छात्र – छात्राओं को इस कॉलेज में पैथोलॉजी, फार्माकोलॉजी एवं माइक्रो बायोलॉजी विषय का लैब अब तक शुरू नहीं हो सका है. नतीजतन यहां अध्ययनरत छात्र – छात्राओं को प्रैक्टिकल की पढ़ाई से वंचित होना पड़ रहा है. छात्र – छात्राओं में इससे असंतोष देखा जा रहा है.
ओपीडी सुविधा नहीं मिली
वर्धमान मेडिकल कॉलेज में अब तक ओपीडी चालू नहीं हो सका है. इससे छात्र – छात्राओं को वार्ड स्टडी यानी बेड साइड क्लास के लिए सदर अस्पताल पहुंचने की मजबूरी है. यहां अध्ययनरत छात्र – छात्राओं की मानें तो सदर अस्पताल में बेड साइड स्टडी में उनलोगों को काफी परेशानी होती है.
लाइब्रेरी है लेकिन स्टाफ नहीं
कॉलेज में छात्र – छात्राओं के लिए लाइब्रेरी की सुविधा सहित लाइब्रेरियन भी उपलब्ध है. कुछेक किताबों को छोड़ शेष सभी उपलब्ध हैं. लेकिन यहां अन्य स्टाफ की कमी है. इससे किताब लेने और इसे जमा करने पहुंचे छात्र – छात्राओं को परेशानी होती है.
चतुर्थवर्गीय कर्मियों की कमी
कॉलेज के विभिन्न विभागों में चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की घोर कमी है. इससे विभिन्न कार्यो के ससमय निबटारे में आये दिन परेशानी हो रही है. आलम यह है कि हरेक कर्मी के उपर कार्य का बोझ अधिक देखा जा रहा है. कार्यो के अधिक बोझ से दबे कर्मी ऐसी स्थिति में चिड़चिड़े भी होते देखे जा रहे हैं.