बिहारशरीफ: आत्मा, नालंदा के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र में जिले के 27 किसानों को मधुमक्खीपालन का प्रशिक्षण दिया गया. समापन के अवसर पर शुक्रवार को प्रशिक्षणार्थियों के बीच प्रमाणपत्र बांटे गये. प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किसानों को प्रमाणपत्र देते हुए आत्मा, नालंदा के परियोजना निदेशक बृजमोहन जोशी ने कहा कि उन्हें आत्मा द्वारा मधुमक्खीपालन करने के लिए बक्सा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा. उन्होंने कहा कि आत्मा, नालंदा इस वर्ष जिले के 200 किसानों को मधुमक्खीपालन का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है. मधुमक्खीपालन कर किसान खासकर महिला किसान कृषि के अलावा अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकती है. इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ संजीव कुमार ने कहा कि शहद उत्पादन के क्षेत्र में बिहार पूरे देश में अव्वल है. नालंदा में मधुमक्खीपालन की बड़ी संभावना बताते हुए कहा कि आत्मा, नालंदा के सहयोग से जिले में मधुमक्खीपालन का व्यवसाय फैलाने की भरपूर कोशिश की जा रही है. आत्मा के सहयोग के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत द्वारा अपने प्रयास से किसानों को मधुमक्खीपालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षक डॉ एनके सिंह ने कहा कि जिले में सहजन के पौधे बड़ी संख्या में मौजूद है. सहजन के फूल से अच्छी शहद प्राप्त की जा सकती है. नालंदा सहजन की शहद के लिए जाना जाता है. उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन को जरूरी बताते हुए कहा कि परागन में मधुमक्खी सहायक होती है. विदेशों में मधुमक्खी पालन कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मधुमक्खीपालन के माध्यम से घर बैठे किसान अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इस सात दिवसीय ट्रेनिंग के दौरान किसानों को प्रक्षेत्र भ्रमण भी कराया गया. किसानों को एकंगरसराय में रिटायर्ड कार्यपालक अभियंता रंजीत सिन्हा द्वारा किये जा रहे मधुमक्खीपालन के व्यवसाय को दिखाया गया. इस प्रशिक्षण में गिरियक, सिलाव, चंडी, बिहारशरीफ व नूरसराय प्रखंडों के करीब 27 किसान शामिल हुए.
इन किसानों का चयन आत्मा, नालंदा के द्वारा किया गया. प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ आनंद कुमार ने किया. इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीके सिंह सहित कृषि विज्ञान केंद्र के अन्य कर्मी मौजूद थे.