आठ करोड़ का घोटाला
छपरा (सदर): वित्तीय वर्ष 2011-12 में किसानों के लिए जिले में चलायी जाने वाली विभिन्न कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में आवंटित आठ करोड़ की राशि की फर्जी बिल बना कर माफियाओं, बिचौलियों एवं डीलरों से अवैध वसूली कर तत्कालीन डीएओ द्वारा भुगतान कर दिये जाने के मामले में विभागीय पदाधिकारियों की नींद उड़ गयी है. […]
छपरा (सदर): वित्तीय वर्ष 2011-12 में किसानों के लिए जिले में चलायी जाने वाली विभिन्न कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में आवंटित आठ करोड़ की राशि की फर्जी बिल बना कर माफियाओं, बिचौलियों एवं डीलरों से अवैध वसूली कर तत्कालीन डीएओ द्वारा भुगतान कर दिये जाने के मामले में विभागीय पदाधिकारियों की नींद उड़ गयी है. विभागीय निगरानी के अपर निदेशक शिवशंकर चौधरी के पत्रंक 274 के आलोक में वर्तमान डीएओ डा. वेदनारायण सिंह ने सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को पत्र भेजा है. पत्र में उन्होंने वित्तीय वर्ष 2011-12 में तत्कालीन डीएओ सुरेंद्र नाथ द्वारा कृषि यंत्री करण, प्रत्यक्षण, श्री विधि, एसडब्लूआइ के कीट वितरण, बीज ग्राम योजना, मुख्यमंत्री तीव्र विस्तार योजना, दियारा विकास योजना के अंतर्गत 8 करोड़ रुपये की राशि के लाभान्वित किसानों की सूची मांगी है. विभागीय पत्र 789 में उन्होंने कहा कि तीन दिनों के अंदर यदि प्रखंड कृषि पदाधिकारी जवाब नहीं देते तो सारी जवाबदेही उनकी होगी. पत्र में उन्होंने श्री विधि में कीट वितरण से संबंधित लाभुक की सूची, बीज ग्राम योजना अंतर्गत आधार बीज सप्लायर का नाम, बीज ग्राम योजना अंतर्गत किसान प्रशिक्षण की सूची, बीज ग्राम योजना अंतर्गत, मुख्यमंत्री तीव्र विस्तार के लाभुकों की सूची, गरमा बीज के लाभुकों की सूची तथा लाभुकों द्वारा प्रखंड कृषि पदाधिकारी कार्यालय में कृषि यंत्री करण का आवेदन पत्र जमा करने वाले के लाभुकों की तिथि एवं रजिस्टर के क्रम संख्या के अनुसार आवेदन पत्र की छाया प्रति मांगी है. मालूम हो कि गत सप्ताह विभागीय निगरानी की टीम द्वारा जांच किये जाने व डीएओ द्वारा निगरानी के पत्र के आलोक में जवाब मांगे जाने के बाद जहां प्रखंडों के पदाधिकारियों व धंधेबाजों में हड़कंप है.
वहीं इस बात को लेकर भी चर्चा है कि आखिर 2011-12 में 8 करोड़ रुपये की किसानों के लाभ की योजना की फाइल वर्षो बाद भी जिला कृषि कार्यालय में क्यों नहीं है.
इस पत्र के बाद जिला के भी वरीय पदाधिकारियों व जिला से लेकर प्रखंडों तक कृषि योजनाओं के कार्यान्वयन से जुड़े पदाधिकारियों में हड़कंप है.