अब मवेशियों के लिए आधार कार्ड जैसी योजना

पटना डेयरी से जुड़े मवेशियों के लिए पंजीयन योजना बिहारशरीफ : दुग्ध उत्पादन को-ऑपरिटव सोसाइटी से जुड़े किसानों की समस्या शीघ्र दूर होनेवाली है. साथ ही उनके दुधारू पशुओं का यूनिक डाटा कार्ड भी बनेगा, जिसमें उनके दुधारू पशुओं का पूरा बायोडाटा रहेगा. दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ से जुड़े किसानों की समस्याओं के निराकरण को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2015 7:00 AM

पटना डेयरी से जुड़े मवेशियों के लिए पंजीयन योजना

बिहारशरीफ : दुग्ध उत्पादन को-ऑपरिटव सोसाइटी से जुड़े किसानों की समस्या शीघ्र दूर होनेवाली है. साथ ही उनके दुधारू पशुओं का यूनिक डाटा कार्ड भी बनेगा, जिसमें उनके दुधारू पशुओं का पूरा बायोडाटा रहेगा. दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ से जुड़े किसानों की समस्याओं के निराकरण को लेकर यह पहल शुरू की गयी है.

यह पहल नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, नई दिल्ली ने शुरू की है. अगले माह से देश के 12 राज्यों में दुधारू मवेशी पालकों के बीच जागरूकता अभियान चलाने के लिए आहार संतुलन कार्यक्रम चलाया जायेगा. इसके तहत बिहार के वैशाल पाटलिपुत्र दुग्ध सहकारी संघ के अंतर्गत जिलों में यह जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.

आहार संतुलन से बढ़ेगा दूध का उत्पादन : गुरुवार को वैशाली पाटलिपुत्र दुग्ध सहकारी संघ के अंतर्गत नालंदा के धमौली, जलालपुर, नीरपुर, फतेहपुर सहित कई गांवों में जाकर वहां चल रहे दुग्ध को-ऑपरेटिव सोसाइटी का जायजा लिया, तो इस सोसाइटी से जुड़े किसानों की समस्याओं से रू-ब-रू हुई. इस दौरान किसानों ने उन्हें बताया कि गरमी के मौसम में दूध का उत्पादन कम हो रहा है. साथ ही दूध में फैट की कमी आ रही है, जिससे उन्हें उतना मुनाफा नहीं हो पा रहा है.

किसानों की समस्या का स्थल पर ही निराकरण करते हुए ओएसडी पारूल ने बताया कि दुधारू पशुओं को उचित ढंग से आहार संतुलन और दवा दी जाय तो दूध का उत्पादन में काफी वृद्धि हो जायेगी. ओएसडी पारूल ने बताया कि इस जागरूकता अभियान के तहत वैशाल पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अंतर्गत किसी एक जिले को चयनित कर वहां के किसानों की समस्याओं के निराकरण के बारे बताया जायेगा.

उन्होंने बताया कि ज्यादातर ऐसे किसानों की यह समस्या गरमी के समय में बनी रहती है कि उनके दुधारू मवेशी तीन से चार किलो दूध देते हैं और फैट की भी कमी रहती है. अगर यही किसानों द्वारा अपने मवेशियों को आहार संतुलन के तहत उचित मात्र में चारा समय-समय पर दिया जायेऔर खास कर मवेशियों के पेट में कृमि को मारने के लिए कीड़े की दवा तीन-तीन महीने पर दी जाये, तो वहीं मवेशी इस गरमी के समय में भी 08-10 लीटर दूध देने लगेंगी.

उन्होंने बताया कि किसानों में जागरूकता की कमी की वजह से दूध उत्पादन में कमी आ रही है, जिसकी वजह से इस गरमी के मौसम में प्रतिदिन दूध उत्पादन में 35 प्रतिशत की कमी हो रही है. उन्होंने बताया कि मुंगेर एक मॉडल जिला है, जहां की वीएलआरपी महिलाएं आहार संतुलन कार्यक्रम में बेहतर कार्य कर रही हैं.

किसानों को किया जायेगा प्रशिक्षित

वैशाली पाटलिपुत्र दुग्ध सहकारी संघ के अंतर्गत पटना, वैशाली, सारण, नालंदा और शेखपुरा जिलों के दो सौ गांवों को वीएलआरपी के लिए चयनित किया गया है. इन गांवों में एक-एक ग्रामीण साधनसेवी यानी वीएलआरपी नियुक्त किये जायेंगे. इन वीएलआरपी को एक-एक लैपटॉप, मोडम और अन्य संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे. इन जिलों से ऐसे ग्रामीण साधनसेवियों के लिए आवेदन लिये जा चुके हैं.

और आहार संतुलन कार्यक्रम की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. ये वीएलआरपी किसानों को दुधारू मवेशियों के आहार संतुलन के बारे में जानकारी देंगे साथ ही उन्हें प्रशिक्षित भी करेंगे. इन जिलों में सहकारी संघ से जुड़े किसानों के दुधारू पशुओं का यूनिक कार्ड भी बनाया जायेगा, ताकि ऑनलाइन इन पशुओं के आहार संतुलन और उपचार की मॉनीटरिंग होती रही.

इन योजनाओं को लागू करने के लिए खास कर बिहार में दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ से जुड़े किसानों की मुख्य समस्याओं को जानने के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की ओएसडी तृप्ति पारूल एवं वैशाल पाटलिपुत्र दुग्ध सहकारी संघ के प्रभारी संग्रहण डॉ बीके झा गांव की ओर निकल पड़े हैं.

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