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जैविक खेती पर जोर

ग्रीन पीस इंडिया के कार्यक्रम में किसानों ने रखी अपनी बात बिहारशरीफ (नालंदा). कृषि की योजनाएं किसानों की सलाह से बने. अलग-अलग इलाकों की मिट्टी की प्रकृति अलग होती है. सभी इलाकों के लिए एक ही योजना कारगर नहीं हो सकती. कौन सी योजना किस इलाके लिए लाभदायक होगी, यह फैसला लेने का हक किसानों […]

ग्रीन पीस इंडिया के कार्यक्रम में किसानों ने रखी अपनी बात

बिहारशरीफ (नालंदा). कृषि की योजनाएं किसानों की सलाह से बने. अलग-अलग इलाकों की मिट्टी की प्रकृति अलग होती है. सभी इलाकों के लिए एक ही योजना कारगर नहीं हो सकती. कौन सी योजना किस इलाके लिए लाभदायक होगी, यह फैसला लेने का हक किसानों का है. हमें उनकी सलाह पर ही अमल करना होगा. खेती को लाभकारी बनाने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा. जैविक तरीके से उत्पादित सब्जी व अनाज की मार्केटिंग की व्यवस्था करनी होगी. यह बातें नालंदा की डीएम पलका साहनी ने कहीं. वह शनिवार को बिहारशरीफ के कपरूरी भवन में ग्रीन पीस इंडिया की किसान पंचायत को संबोधित कर रही थीं. डीएम ने कहा कि हम किसानों की सलाह पर खेती की योजना बनाना चाहते हैं. इस दिशा में किसानों की ओर से जो सलाह व सुझाव सामने आयेंगे, उस पर अमल किया जायेगा. कृषि योजनाओं में बिचौलियों की भूमिका को किसानों के हितों के खिलाफ बताते हुए डीएम ने कहा कि हमें बिचौलियों को पूरी तरह समाप्त करना होगा. बिचौलिये सारी योजनाओं का लाभ उठा लेते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कुछ लोग बिचौलियों को ही अपना माध्यम बना लेते हैं. किसान पंचायत में जुटे किसानों की राय थी कि खेती की लागत लगातार बढ़ती जा रही है और मुनाफा घटता जा रहा है. इसकी वजह यह है कि रासायनिक खाद व रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से खेती लगातार महंगी होती जा रही है. दिन-प्रतिदिन खेती में रासायनिक खाद की खुराक बढ़ती जा रही है, लेकिन उत्पादन घटता जा रहा है. रासायनिक खाद के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरक शक्ति घट रही है. मिट्टी की नमी कम हो रही है. ऐसे में हमें जैविक खेती को अपनाना होगा.

किसानों ने कहा

बेन से आये किसान अवध बाबू ने कहा कि तीस साल पहले जितनी खेती के लिए एक पाव रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते थे, उतनी हीं खेती के लिए अब सात किलो रासायनिक खाद डालना पड़ रहा है. इससे खेती महंगी हो रही है और जमीन बंजर हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर हम बायो गैस प्लांट लगाते हैं, तो ईंधन व खाद की समस्या का समाधान हो जायेगा. बायोगैस प्लांट से निकले गोबर का इस्तेमाल वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पंजाब व हरियाणा की खेती में रासायनिक खाद के इस्तेमाल का दुष्परिणाम दुनिया के सामने है. उन राज्यों की मिट्टी बंजर हो गयी है. सलीमपुर के किसान अमीरचंद प्रसाद ने कहा कि आज हम खाद की मात्र बढ़ा रहे हैं, लेकिन उपज नहीं बढ़ रहा है. हमें जैविक खेती अपनानी होगी. रहुई के किसान भुवनेश्वर प्रसाद ने कहा कि सरकार को बायोगैस प्लांट पर अनुदान 50 फीसदी से बढ़ा कर 90 फीसदी करना होगा. पॉली हाउस पर अनुदान 90 फीसदी मिलता है, लेकिन यह किसानों के लिए उपयोगी नहीं है.

तियोरी के किसान सुरेश प्रसाद ने कहा कि अनुदान के नाम पर हीं हो रही लूट को रोकना होगा. सुबोध पंडित ने कहा कि रासायनिक खाद हमारी खेती के लिए संकट साबित हो रहा है.

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह

कृषि विज्ञान केंद्र हरनौत के कृषि वैज्ञानिक उमेश नारायण उमेश ने कहा कि हमें जैविक खाद की संस्कृति को जिंदा रखना होगा. रासायनिक खाद डालने से मिट्टी में रहने वाले बैक्टेरिया मर जाते हैं, जबकि ये हमारी फसलों के लिए उपयोगी है. खास कर दलहनी के लिए उन्होंने कहा कि हमारे वायु मंडल में 78 फीसदी नाइट्रोजन है, फिर भी हम यूरिया का इस्तेमाल करते हैं. इससे मिट्टी में असंतुलन पैदा होता है. ग्रीन पीस के आयोजक इश्तियाक अहमद ने किसान पंचायत की शुरुआत में कहा कि मिट्टी बचाने के लिए सरकार की कई योजनाएं चल रही है. अगर इन योजनाओं को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत लाया जाये तो, किसानों को अधिक फायदा होगा. कृषि की योजनाओं की निगरानी का अधिकार किसान समूहों को मिले तो योजनाओं का लाभ किसानों को मिलेगा. उन्होंने कहा कि नालंदा जिले के किसानों ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान कायम की है. ऐसे में खेती-किसानी पर आये संकट से निबटने के लिए हमें नालंदा के किसानों का अनुभव जानना होगा. किसानों के सुझाव व शिकायतें सरकार व प्रशासन तक पहुंचे. इसके लिए उन्हें मंच उपलब्ध कराना होगा. इससे पहले ग्रीन पीस की मीडिया ऑफिसर निवेदिता ने अतिथियों का स्वागत किया. मंच संचालन मोहम्मद जाहिद ने किया.

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