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दृष्टिहीन हैं,पर हौसले बुलंद
मैट्रिक में मिली सफलता ने सपनों को दी उड़ान जिले के सात दृष्टिहीन बच्चों ने मैट्रिक में लाया प्रथम स्थान बिहारशरीफ : नि:शक्त हैं, दृष्टिहीन हैं पर इनके हौसले बुलंद हैं. हौसले को उड़ान देने वाले नालंदा के ये सात दृष्टिहीन बच्चे हैं, जो मैट्रिक 2015 की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं. […]
मैट्रिक में मिली सफलता ने सपनों को दी उड़ान
जिले के सात दृष्टिहीन बच्चों ने मैट्रिक में लाया प्रथम स्थान
बिहारशरीफ : नि:शक्त हैं, दृष्टिहीन हैं पर इनके हौसले बुलंद हैं. हौसले को उड़ान देने वाले नालंदा के ये सात दृष्टिहीन बच्चे हैं, जो मैट्रिक 2015 की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं. भले ही इस चकाचौंध में इनकी यह शानदार उपलब्धि खो गयी हो, लेकिन यह सफलता इनके सपनों को पंख लगा दिया है.
जिले के विभिन्न क्षेत्रों के रहने वाले ये दृष्टिहीन बच्चे काफी गरीब वर्ग से आते हैं और समाज इन्हें उपेक्षा के दृष्टि से देखते हैं. फिर भी ये दृष्टिहीन बच्चे पढ़ाई से मुंह मोड़े नहीं. स्थानीय मद्यड़ा में स्थिति नेत्रहीन विद्यालय में रह कर पढ़ने वाले बच्चों में नौ ने मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा दी थी, जिसमें सात ने प्रथम श्रेणी और दो ने द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुए.
इन बच्चों की मार्मिक दशा किसी की भी आंखें खोल देगी की किस परिस्थिति में ये बच्चे शिक्षा ग्रहण किये होंगे. अब विनय-विष्णु को ही ले लें. ये दोनों सहोदर भाई हैं और जन्म से ही नेत्रहीन हैं, लेकिन पढ़ाई में दोनों अव्वल हैं और मैट्रिक परीक्षा में भी दोनों प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए. सबसे बड़ी त्रसदी है विनय-विष्णु के एक बहन भी दृष्टिहीन है.
राजगीर के तिलैया गांव के रहने वाले लाली महतो के ये दृष्टिहीन दोनों बेटों का सपना है,वे शिक्षक बन कर दूसरे को भी शिक्षित करे. दृष्टिहीन सोनू कुमार के सपने और बड़े हैं, वे कंप्यूटर में उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं. इनके पिता महेंद्र चौधरी ट्रक ड्राइवर है और वे अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
कृष्ण कान्हा हो या नंदन या फिर संजीव ये सभी मैट्रिक परीक्षा परचम लहराने वाले शिक्षक ही बनना चाहते हैं, लेकिन इससे हट कर ज्ञानेंद्र सिंगर बनना चाहते हैं. इन्होंने तो बिहार दिवस पर मुख्यमंत्री के समक्ष गायकी का जलवा भी बिखर चुके हैं.
इन दृष्टिहीन के वरीय शिक्षक कहते हैं कि आज इनकी सफलता पर लाइफ लाइन केयर महादेवपुर राजगीर भले ही सम्मान कर रहा,लेकिन ये बच्चे सरकार से सम्मान पाने के लायक हैं. नि:संदेह ऐसे बच्चों की सफलता को और हौसला दिया जाय तो ये नि:शक्त बच्चे अपनी मंजिल को चूम लेंगे.
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