बिहारशरीफ (नालंदा) : औषधि निरीक्षक के कार्यालय में कार्यरत चतुर्थवर्गीय कर्मचारी महेंद्र प्रसाद को करीब एक वर्ष से वतन नहीं मिल सका है. वेतन के अभाव में बीमार पत्नी का उचित इलाज नहीं होने के कारण उसकी मौत हो गयी.
इस विषम स्थिति में महेंद्र ने पुत्री की शादी तय कर सिविल सर्जन से वेतन की गुहार लगायी. लेकिन उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया. चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को अब अपनी बिटिया की शादी की चिंता सता रही है. कहीं, बिटिया की तय शादी कट न जाये, इसकी चिंता उन्हें खाये जा रही है.
कर्मचारी महेंद्र प्रसाद ने विभाग के वरीय अधिकारियों सहित सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार से वेतन की गुहार लगायी है. श्री प्रसाद बताते हैं कि उनका कार्यालय सदर अस्पताल परिसर में ही अवस्थित है. यह कार्यालय सिविल सर्जन कार्यालय से बिल्कुल अलग है. हाजिरी कार्यालय की पंजी में बनती है, जबकि सिविल सर्जन कार्यालय में उपस्थित बायोमेट्रिक मशीन से बनती है.
सिविल सर्जन द्वारा उन्हें बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी बनाने का आदेश दिया गया है. कर्मचारी बताते हैं कि उनका काम औषधि निरीक्षक के कार्य में सहयोग करना है. औषधि निरीक्षक की ड्यूटी की कोई समय सीमा नहीं है. उन्होंने बताया कि औषधि निरीक्षक को इस संबंध में कोई शिकायत नहीं, फिर भी सिविल सर्जन उनका वेतन करीब एक साल से रोके हुए हैं.
इस संबंध में सिविल सर्जन ने बताया कि चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का उनके कार्यालय में अब्सेंटी नहीं भेजी जाती है, ऐसी स्थिति में उनका वेतन किस आधार पर निकलेगा. औषधि निरीक्षक ने बताया कि उनके कार्यालय द्वारा समय-समय पर सिविल सर्जन कार्यालय को अब्सेंटी भेज दी जाती है.