उगते सूर्य काे अर्घ कल :
छठ महापर्व का चौथा दिन पारण कहलाता है. यह बुधवार को होगा. इस दिन सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ दिया जाता है. व्रती फिर से उसी स्थान पर इकट्ठा होते हैं, जहां उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था. अर्घ के लिए जाते समय छठ मइया के गीत : भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान करने के […]
छठ महापर्व का चौथा दिन पारण कहलाता है. यह बुधवार को होगा. इस दिन सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ दिया जाता है. व्रती फिर से उसी स्थान पर इकट्ठा होते हैं, जहां उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था.
अर्घ के लिए जाते समय छठ मइया के गीत :
भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान करने के लिए घाटों की ओर जाते समय महिलाएं छठ मइया के गीत गाती जाती हैं. ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’, ‘केलवा जे फरेला धवद से ओह पर सुगा मड़राय’, निंदिया से मातल सूरज देव, अंखिया न खोले हे’, ‘सेविले चरण तोहार हे छठी मइया, महिला तोहर अपरंपार’, ‘हम कइली छठ वरतिया से उनखे लागी’ आदि छठ मइया के सुमधुर गीतों से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है.
पर्व को लेकर सड़क की हुई सफाई :करायपरशुराय. अनुमंडल मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर पश्चिमी क्षेत्र में अवस्थित दीरीपर गांव में सूर्य मंदिर की महत्ता तो पूरे वर्ष रहती है, लेकिन छठ पर्व के अवसर पर इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. यह सूर्य मंदिर भुतही नदी के पूर्वी तट पर स्थित है. इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर परिसर में सात घोड़े के रथ पर भगवान सूर्य की आदमकद प्रतिमा स्थापित है. श्रद्धालु अपनी मन्नतों को लेकर यहां पूरे वर्ष जुटते हैं.
छठ पर्व के अवसर पर इस मंदिर के तालाब घाट पर सुदूर क्षेत्रों से छठव्रती जुटते है. छठव्रतियों की सुविधा के लिए साफ-सफाई एवं रोशनी की व्यवस्था की जाती है. निर्माणकर्ता कौशल किशोर प्रसाद ने बताया कि इस मंदिर में लोग श्रद्धा व आस्था के साथ छठ पर्व करने आते हैं. उन्होंने बताया कि बहुत सारे श्रद्धालु भक्त की मन्नतें यहां पर पूरी हुई है, जो लगातार इस मंदिर पर आकर आस्था के साथ छठ व्रत करते हैं.