मरीजों की फजीहत विरोध. डॉक्टरों की हड़ताल, ओपीडी में नहीं हुआ इलाज

सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा रही बहाल बिहारशरीफ. डॉक्टरों की राज्यव्यापी हड़ताल का असर शनिवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में भी देखा गया. अस्पताल के ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं हुआ. इलाज कराने पहुंचे विभिन्न रोगों के मरीजों को बैरंग वापस लौटना पड़ा. हालांकि गंभीर मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल के इमरजेंसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2016 12:44 AM

सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा रही बहाल

बिहारशरीफ. डॉक्टरों की राज्यव्यापी हड़ताल का असर शनिवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में भी देखा गया. अस्पताल के ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं हुआ. इलाज कराने पहुंचे विभिन्न रोगों के मरीजों को बैरंग वापस लौटना पड़ा.
हालांकि गंभीर मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल के इमरजेंसी सेवा चालू रही. पर ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं होने से इलाज को रोगी इधर-उधर भटकते नजर आये. सदर अस्पताल के मेडिसीन ओपीडी,नाक कान व गला,हड्डी,शिशु,आंख आदि ओपीडी में मरीजों का इलाज नहीं हो सका. आईएमए के आह्वान पर निजी क्लीनिकों में भी मरीजों का इलाज नहीं हुआ.जिससे और भी मरीजों को फजीहत उठानी पड़ी.
इमरजेंसी वार्ड में रही भीड़ भाड़ मोतीहारी में एक डॉक्टर की हत्या व सहरसा में एक चिकित्सक पर जानलेवा हमले के विरोध में एकदिवसीय हड़ताल पर डॉक्टर रहे. लेकिन सरकारी अस्पताल में इमरजेंसी सेवा को चालू रखा गया था. इस तरह आपातकालीन सेवा को चालू रखने से इमरजेंसी मरीजों को काफी राहत हुई. सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में गंभीर मरीजों की चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए रोस्टर के मुताबिक डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात थे. इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सक गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज करने में लगे थे.
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक कर रहे मॉनिटरिंग
इमरजेंसी वार्ड में आने वाले मरीजों पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ शैलेंद्र कुमार स्वयं नजर रखे हुए थे. ताकि आपातकालीन सेवा मरीजों व रोगियों को सुलभ तरीके से उपलब्ध करायी जा सके. इस वार्ड में भरती होने वाले रोगियों को डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी अपनी सेवा उपलब्ध कराते रहे.इसी दौरान इमरजेंसी वार्ड में तुंगी के एक मरीज को परिजन इलाज के लिए लाये. जिसे देखते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृतक भोला रविदास के पुत्र धर्मेंद्र ने बताया कि पिता खेत में काम कर रहे थे.
इसी बीच उनकी तबीयत खराब हो गयी. उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाया. जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष के पास निबंधन काउंटर पर गंभीर मरीजों के इलाज के लिए पंजीयन कराने को मरीजों व अभिभावकों की भीड़ लगी रही. पंजीयन कराने के बाद गंभीर मरीजों को इलाज के लिए उनके अभिभावक इमरजेंसी वार्ड में भरती कराते देखे गये.प्रसूता वार्ड में भी मरीजों का इलाज चलता रहा.
अस्पताल की ओपीडी में इलाज नहीं होने से शनिवार को एक तरह से सन्नाटा पसरा रहा. अन्य दिनों की अपेक्षा दवा वितरण काउंटर पर मरीज दवा लेने के लिए इक्के-दुक्के ही दिखे. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि आपात सेवा उपलब्ध कराने के लिए इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर व कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात थे. इस वार्ड में आने वाले मरीजों का डॉक्टरों ने इलाज किया.

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