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आरा मशीन रहने के बावजूद नहीं बन रहे फर्नीचर

किराये पर लगा दी गयी आरा मशीन को बिहारशरीफ : एक जमाने में अपने उत्पाद के बल पर जिले सहित राज्य में परचम लहराने वाले जिला खादी ग्रामोद्योग आज अपने कर्मियों की लापरवाही के कारण बदहाल स्थिति से गुजर रहा है. 1990-95 के दशक में खादी ग्रामोद्योग संघ द्वारा कपड़ा बुनाई साथ-साथ कपड़ा धुलाई के […]

किराये पर लगा दी गयी आरा मशीन को

बिहारशरीफ : एक जमाने में अपने उत्पाद के बल पर जिले सहित राज्य में परचम लहराने वाले जिला खादी ग्रामोद्योग आज अपने कर्मियों की लापरवाही के कारण बदहाल स्थिति से गुजर रहा है. 1990-95 के दशक में खादी ग्रामोद्योग संघ द्वारा कपड़ा बुनाई साथ-साथ कपड़ा धुलाई के साथ-साथ अगरबती,सरसों तेल,आरा मशीन का संचालन होता था.आज आरा मशीन किराये पर लगा दिया गया है.
इस आरा मशीन से बिहारी चरखा के साथ-साथ फर्नीचर बनाये जाते थे.इसके लिए पूर्णिया से लकड़ी की खरीदारी की जाती थी. इस लकड़ी से कई तरह के फर्नीचर तैयार किये जाते थे. बिहारी चरखा से जिले के सूतकार सूत कटाई का काम करते थे.इससे 50 मजदूरों को नियमित रोजगार मिलता था.128 कार्यकर्ता कार्यरत थे.इनलोगों के रहने के लिए भवन था.साथ ही भोजन के लिए मेस का संचालन होता था.
नाममात्र की हो रही कपड़ों की बुनाई :इस खादी ग्रामोद्योग भवन में वर्तमान समय में नाममात्र की ही कपड़ों की ही बुनाई हो पा रही है.इस कार्यालय में अभी मात्र कुछेक चरखे ही चल रहे हैं. लिहाजा बुनकरों को भी नियमित रूप से काम नहीं मिल पाता है.इसी तरह अगरबती बनाने का काम भी सालों से बंद पड़ा है. पहले इस काम में सैकड़ों लोग लगे रहते थे.लेकिन जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के अधिकारियों की लापरवाही से उक्त कार्य सालों से बंद पड़े हैं.
उक्त काम को चालू करने की दिशा में पहल नहीं की जा रही है.सबसे बड़ी बात तो यह है कि कार्यालय में लगी आरा मशीन को किराये पर लगा दी गयी है. इस आरा मशीन से निजी ठेकेदार काम कर रहे हैं.इससे विभाग को प्रतिमाह हजारों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है.यदि संघ की ओर से इसका संचालन किया जाय तो आज भी कई तरह के फर्नीचर बनाये जा सकते हैं.यदि फर्नीचर इस मशीन से बनेंगे तो विभाग को राजस्व प्राप्त तो होगा ही साथ ही बदहाल स्थिति में सुधार लायी जा सकती है. खादी ग्रामोद्योग के मंत्री मनोज पांडेय ने बताया कि पूंजी के अभाव में आरा मशीन को किराये पर लगायी गयी है.

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