पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के मजदूरों की हड़ताल जारी

अधर में पड़ी 180 करोड़ की योजना मुख्यमंत्री की थी ड्रीम प्रोजेक्ट राजगीर. पुलिस ट्रेनिंग सेंटर राजगीर में मजदूरों के हड़ताल के कारण शुक्रवार को चौथे दिन भी काम ठप रहा. अपने बकाये वेतन की मांग को लेकर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में काम कर रहे सैकड़ों मजदूर चौथे दिन भी काम बंद कर मुख्य दरवाजे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2016 8:16 AM

अधर में पड़ी 180 करोड़ की योजना

मुख्यमंत्री की थी ड्रीम प्रोजेक्ट

राजगीर. पुलिस ट्रेनिंग सेंटर राजगीर में मजदूरों के हड़ताल के कारण शुक्रवार को चौथे दिन भी काम ठप रहा. अपने बकाये वेतन की मांग को लेकर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में काम कर रहे सैकड़ों मजदूर चौथे दिन भी काम बंद कर मुख्य दरवाजे पर प्रदर्शन कर रहे है. इस प्रदर्शन में मजदूरों के साथ ही कई कंपनियों के कांट्रैक्टर, ठेकेदार और लेबर सप्लायर, बालू सप्लायर, ईंट सप्लायर, वाटर प्रूफिंग और टायल्स सप्लायर, कोटा सप्लायन, पेंटर, इंजीनियर, फोरमैन, सुपरवाइजर, स्टोर कीपर, टाइम कीपर, सिक्युरिटी गार्ड, ऑपरेटर भी शामिल है. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि यहां काफी अनियमितता है.

पिछले जून माह से एक भी पैसा मजदूरों और ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया गया है, जिसके कारण हम सभी को खाने के लाले पड़े हैं. दो वक्त का राशन जुटाने के लिए मोबाइल, साइकिल और गैस सिलिंडर तक बेचना पड़ गया है. पैसे के अभाव में बच्चों के स्कूल और ट्यूशन दोनों छोड़ने पड़ गये हैं. भगवान ना करे कि अगर कोई इस वक्त हमारे घर में बीमार पड़ गये तो पैसे के अभाव में हम उनका इलाज भी नहीं करा पायेंगे. उक्त बातें लगभग सभी मजदूरों के साथ है. मजदूरों ने कहा कि पैसे की मांग करने पर उन्हें लोकल थानों के द्वारा धमकी दिलवाया जाता है, जिसके डर से बहुत सारे मजदूर यहां से काम छोड़ कर पलायन कर गये हैं. पहले यहां लगभग दो हजार मजदूर काम किया करते थे पर अब यहां मात्र 100-150 मजदूर ही रह गये है. प्रदर्शन करने वालों में झारखंड के मुकेश कुमार, पि›म बंगाल के गोपाल प्रोनिक, दिल्ली के सुरेश लाल वर्मा, जहानाबाद के पप्पू सिंह व संजय कुमार, सीतामढ़ी के अनिल कुमार, कटिहार के अरूण कुमार सिंह, नागेश्वर पासवान, मनोहर मंडल सहित सैकड़ों की संख्या में मजदूर, कांट्रैक्टर व अन्य शामिल थे.

क्या है मामला :

ज्ञात हो कि राजगीर में बन रहे पुलिस ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के द्वारा कराया जा रहा है. पुलिस भवन निर्माण निगम ने इस कार्य को पूरा कराने के लिए सरकार के उप्रक्रम ईपीआईएल को दिया गया था. ईपीआईएल ने यह काम कॉन्ट्रैक्टर पर विजेता प्रोजेक्ट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी रांची को दिया था. फिर विजेता कंपनी ने भी अपना कमीशन तय कर यह काम केबीपीएल कंपनी नोयडा को दे दिया. फिर केपीएल कंपनी ने अपना कमीशन तय कर यह काम लगभग 60 छोटे-बड़े ठेकेदारों को दे दिया. अब इन ठेकेदारों ने भी कई अलग-अलग लोगों को काम बांट कर काम कराना शुरू किया है. समस्या ऊपर से ही शुरू हुआ. काम नीचे से होता है, बिल भी नीचे से जाता है, जबकि पैसे ऊपर से आता है, जिसमें कई रूकावटे होती है. मजदूरों ने बताया कि केपीएल कंपनी घटा लगने के डर से काम छोड़ कर भाग गयी है, जिसके कारण्या नीचे के सभी कंपनी और मजदूरों का पैसा फंस गया है. अब ईपीआईएल हम लोगों को पैसा देने से मना कर रही है. उसका कहना है कि आप लोगों को हम नहीं पहचानते

180 करोड़ की है योजना :

बताते चले कि इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए राजगीर प्रखंड क्षेत्र के मोरा गांव के पास कुल 133 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिस पर 180 करोड़ रुपये की लागत से इसे इकोफ्रेंडली तर्ज पर बनाया जाना है. बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद यह सूबे का यह पहला पुलिस ट्रेनिंग सेंटर होगा.

06 वर्ष में हो सका मात्र 40 प्रतिशत काम :

पुलिस ट्रेनिंग सेंटर का शिलान्यास 13 अगस्त 2010 में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़े समारोह के दौरान की थी, जिसका पूर्ण निर्माण का लक्ष्य 2 वर्ष रखा गया था. आज 6 वर्ष बाद भी यहां मात्र 40 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका है. 133 एकड़ में फैले इस परिसर में कुल 40 ब्लॉक बनने है. जिसमें 4 ट्रेनिंग ब्लॉक, 2 एकेडमिक ब्लॉक, परेड ग्राउंड, स्टेडियम, हॉस्पीटल, स्वीमिंग पुल, जूनियर मेस, सीनियर ऑफिसर्स मेस, मोटर ट्रेनिंग स्कूल, कुत्तों एवं घोड़ों के विशेष प्रशिक्षण के लिए कनाईन स्कूल, सब इंस्पेक्टर ब्लॉक, एसएसआर्य ब्लॉक, डिप्टी डायरेक्टरव रेसिडेंस, असिस्टेंट डायरेक्टर रेसिडेंस, पुलिस स्टेशन, रिजर्व ऑफिस, कांफ्रेंस ब्लॉक, 6 वाच टावर, प्राइमरी स्कूल, लॉन्ड्री ब्लॉक, यूटिलिटी मॉल सहित अन्य ब्लॉक शामिल है. मजदूरों के अनुसार मैनेजमेंट की लापरवाही व लालफीताशाही के कारण अब तक एक भी ब्लॉक का काम पूरा नहिीं हो सका है.

निरीक्षण के दौरान सीएम ने लगायी थी फटकार :

विगत दिसंबर 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट का निरीक्षण स्वयं किया था. उन्होंने निरीक्षण के क्रम में चल रहे निर्माण कार्य का स्वयं जायजा लिया था. निर्माण कार्य की धीमी गति को देखते हुए उन्होंने संबंधित सभी अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगायी थी साथ ही काम में तेजी लाने का भी निर्देश दिया था.

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